नाहन का 70 वर्षीय गुमनाम ‘ग्रीन हीरो’, जिसने सेवानिवृत्ति लेकर शहर को बनाया हरा-भरा

Photo of author

By पंकज जयसवाल

नाहन : जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण की बातें अक्सर औपचारिकता तक सिमट कर रह जाती हैं, वहीं नाहन शहर के 70 वर्षीय जगमीत सिंह वालिया ने इस धारणा को अपनी जिंदगी का ‘मिशन’ बना लिया है। पटवारी के पद से सेवानिवृत्त यह शख्स पिछले करीब 51 सालों से चुपचाप हरियाली रोप रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि शहर का एक बड़ा हिस्सा आज भी उनके इस अतुलनीय योगदान से अनजान है।

‘अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है’ – जगमीत सिंह ने साबित किया सच
अमरपुर निवासी जगमीत सिंह ने यह कहावत झूठी साबित कर दी कि ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’। उन्होंने अपनी जवानी से लेकर 70 की उम्र तक, सरकारी जमीनों और सार्वजनिक स्थलों को अपनी कर्मभूमि बनाया। पिछले पांच दशकों से वह सिर्फ पौधे लगा ही नहीं रहे, बल्कि उनकी पूरी देखभाल कर रहे हैं—एक ऐसा कार्य जिसमें उन्होंने अपनी जेब से लाखों रुपये भी लगा दिए।

ग्रीन हीरो

गंदगी को बनाया प्रेरणा, पान-बीड़ी के ठेले से शुरू हुआ सफर
जगमीत सिंह के हरियाली के प्रति अटूट प्रेम की शुरुआत 1974 में हुई जब पटवारी की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने कालीस्थान तालाब के निकट वर्तमान शहीद स्मारक के सामने पान-बीड़ी का ठेला लगाया। वहां फैली गंदगी ने उन्हें इतना विचलित किया कि उन्होंने कचरे वाली जगह को साफ करके पौधे लगाने शुरू कर दिए।

तत्कालीन कंजरवेटर से उन्हें पौधारोपण करने और उनके रखरखाव को लेकर प्रेरणा मिली। वह सरकारी संस्थानों के निकट जहां कचरा फेंका जा रहा था, उसे साफ करके पौधे लगाने लगे। उन्होंने आरओ कार्यालय, शहीद स्मारक और कालीस्थान तालाब के सामने खाली पड़ी नप की जमीन पर पौधे लगाए। आज इन जगहों पर दर्जनों औषधीय और फूलों के पौधे लहलहा रहे हैं।

जब नौकरी के दौरान उन्हें लगा कि वह अपने लगाए पौधों की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया। 2007 में, उन्होंने प्री-मैच्योर सेवानिवृत्ति ले ली ताकि अपना पूरा समय पर्यावरण को दे सकें।

“रोजाना चार-चार घंटे पौधों को पानी देने, बाड़ करने, पत्थर लाकर डंगा लगाने का कार्य करने लगे। हजारों की संख्या में पौधे लगाने के बावजूद उनका यह सफर आज भी जारी है।”

दुख और निराशा: फिर भी नहीं हारे जज्बे के धनी
जगमीत सिंह को इस बात का दुख है कि उनके लगाए गार्डन में लोग पौधे नष्ट कर देते हैं और दुकानदार गंदगी फैला देते हैं। लेकिन, उनकी दृढ़ता देखिए! वह हार नहीं मानते—वह फिर से गंदगी साफ करते हैं, नए पौधे लगाते हैं और समर्पण भाव से उनकी देखभाल करते हैं।

समाज से अपील: औपचारिकता नहीं, संभाल जरूरी
जगमीत सिंह वालिया का कहना है कि उनकी पत्नी अनीता वालिया और बेटियों रजनी वालिया व अंजली चोपड़ा ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। वह लोगों से एक मार्मिक अपील करते हैं : “पौधे बेशक 10 लगाएं लेकिन उसकी बड़े होने तक देखभाल करें। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर औपचारिकता उस प्रकृति से बेईमानी है जिसने अपना सबकुछ हमें दिया है।”

उन्होंने आगाह किया कि आज की प्राकृतिक आपदाएं पेड़ों के कटान और अवैज्ञानिक विकास की देन हैं, इसलिए समय रहते संभालना आवश्यक है।

नाहन के लिए जगमीत सिंह वालिया एक ‘ग्रीन हीरो’ हैं, जिन्होंने बिना किसी शोर-शराबे के शहर को हरियाली का अनमोल तोहफा दिया है। क्या नाहन शहर अब इस गुमनाम नायक के प्रयासों को पहचान देगा?

Photo of author

पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।