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नाहन के ऐतिहासिक गुरूद्वारा को एक नया स्वरूप

नाहन: ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री दशमेश अस्थान नाहन को एक नया स्वरूप दिया जा रहा है जिसको लेकर सोमवार को संक्रांती के पवित्र दिन से इस कार्य की शुरूआत की गई, जिसमें नाहन व पांवटा साहिब की साध संगत ने सेवाभाव से सेवा कर रहे है। गुरूद्वारे के पुराने गुरूद्वारे को गिराने का काम भी शुरू हो गया है जिसके स्थान पर भव्य गुरूद्वारे का निर्माण पहले ही किया जा चुका है। पुराने गुरूद्वारे का कुछ हिस्सा संरक्षित किया जाएगा साथ ही उस स्थान को भी विशेष तौर पर संरक्षण मिलेगा जहां बैठकर गुरू श्री गोबिंद सिंह जी महाराज संगतों को दर्शन दिया करते थे। मौजूदा में सिखों के दसवें गुरू के नाहन में बिताए गए समय को लेकर दो निशानियां मौजूद है।

चौगान मैदान के एक छोर पर स्थित इस गुरूद्वारे के पुराने भवन को गिराने के लिए कारसेवा शुरू हो चुकी है। पुराने गुरूद्वारे से करीब दो साल पहले ही श्री गुरूग्रंथ साहिब जी को नवनिर्मित गुरूद्वारे में स्थापित किया जा चुका था। वहीं अब पुराने गुरूद्वारे के भवन को गिराने को लेकर सिख समुदाय थोडा भावुक जरूर है लेकिन गुरूद्वारे का पुराने भवन गिराना जरूरी था। गुरूद्वारा श्री दशमेश अस्थान नाहन में सिखों के दसवें गुरू श्री गोबिंद सिंह महाराज 30 अप्रैल 1685 को सिरमौर रियासत के तत्कालीन राजा मेदनी प्रकाश के बुलावे पर नाहन आए थे।

गुरू श्री गोबिंद्र सिंह महाराज जी ने नाहन में लगभग साढे आठ माह नाहन में बिताए। तत्पश्चात गुरू जी ने पांवटा साहिब की ओर प्रस्थान किया। इस अवसर पर गुरूद्वारा श्री दशमेश अस्थान के अध्यक्ष एडवोकेट अमृत सिंह शाह ने बताया कि इस पुनीत कार्य को सक्रांती के दिन शुरू किया गया, जिसमें नाहन व पांवटा साहिब की साघ संगतों ने बढचढ कर सेवा की। उन्होंने साघ संगतों से अपील साध संगत से अपील की है कि इस सेवा कार्य में बढचढ कर हिस्सा ले तथा इस पुनीत कार्य को करने के लिए अपना सहयोग दें।

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