नाहन : सिरमौर जिले के पावटा साहिब के आरटीआई एक्टिविस्ट चतर सिंह ने बड़े स्तर पर हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई न होने से आहत होकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु (Euthanasia) की अनुमति मांगी है। एक्टिविस्ट ने बिजली बोर्ड की मिलीभगत से उद्योगों में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले को आरटीआई (RTI) के माध्यम से उजागर किया था, लेकिन बार-बार शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
चतर सिंह ने आज सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में पत्रकारों से बात करते हुए यह गंभीर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में औद्योगिक क्षेत्र कालाअम्ब और बद्दी में उद्योगों के भीतर बिजली बोर्ड की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का बड़ा घोटाला हुआ था।

एक्टिविस्ट के अनुसार, उन्होंने आरटीआई के जरिए इस भ्रष्टाचार को उजागर किया, जिससे सरकारी राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि जांच में भी भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए थे, बावजूद इसके जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
चतर सिंह ने बताया कि जब हिमाचल प्रदेश में संबंधित विभागों और मुख्यमंत्री के सामने उनका मामला उठाने पर कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को उचित जांच की मांग करते हुए पत्र लिखा था।
PMO ने इस पर संज्ञान लेते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन इस दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हुई। इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रपति को भी पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद डीजीपी हिमाचल को जांच के आदेश हुए, मगर एक्टिविस्ट के अनुसार उनके द्वारा भी मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
भ्रष्टाचार के बड़े मामलों पर प्रदेश के भीतर कोई कार्रवाई न होने से चतर सिंह गहरे आहत हैं। उन्होंने कहा कि न्याय न मिलने और भ्रष्टाचार को रोकने में विफल रहने के कारण उन्होंने अब हताश होकर राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की गुहार लगाई है।
उनका यह कदम हिमाचल प्रदेश में सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में देरी और निष्क्रियता पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।