सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (नौणी यूनिवर्सिटी) के फल विज्ञान विभाग की नर्सरी को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता (प्रत्यायन) देने की प्रक्रिया के तहत एक अहम निरीक्षण किया गया। इसके लिए नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड (NHB) की एक टीम ने यूनिवर्सिटी का दौरा किया और वहां मौजूद सुविधाओं और पौधों की गुणवत्ता को बारीकी से परखा।
इस टीम का नेतृत्व कंसल्टेंट-कम-चेयरमैन डॉ. वाई. सी. गुप्ता ने किया। उनके साथ एनएचबी शिमला के उप निदेशक डॉ. एस. के. चौरसिया, डॉ. अनुराग शर्मा और डॉ. अंजली कटोच भी मौजूद थीं। यूनिवर्सिटी की तरफ से निदेशक अनुसंधान डॉ. देविना वैद्य और विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र चौहान समेत अन्य वैज्ञानिकों ने टीम को नर्सरी की अलग-अलग इकाइयों का दौरा करवाया।
टीम ने सेब, कीवी, प्लम, आड़ू, नेक्टेरिन, अखरोट, पर्सिमन और चेरी जैसे फलों के मदर ब्लॉक्स और जीन बैंक का निरीक्षण किया। उन्होंने यह भी देखा कि पौधों को तैयार करने के लिए कौन सी आधुनिक तकनीकें अपनाई जा रही हैं।
फल विज्ञान विभाग की यह नर्सरी क्षेत्र की सबसे प्रमुख नर्सरियों में से एक है, जो कुल 6.7 हेक्टेयर में फैली हुई है। इसमें से 4.5 हेक्टेयर से ज्यादा हिस्से में पौधे तैयार किए जाते हैं, जबकि करीब 2.2 हेक्टेयर में जीन बैंक और मदर ब्लॉक्स स्थापित हैं।
पिछले तीन दशकों से यह विभाग हिमाचल और पड़ोसी राज्यों के किसानों को लाखों की तादाद में फलदार पौधे मुहैया करवा रहा है। फिलहाल यहां सेब की 68 से ज्यादा किस्में संरक्षित हैं और उनके पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा प्लम की 10, खुबानी की 12, आड़ू और नेक्टेरिन की 15, अखरोट की 10, कीवी की 5 और चेरी की 6 किस्में यहां उपलब्ध हैं।