सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (नौणी यूनिवर्सिटी) में सोमवार का दिन किसानों और बागवानों के नाम रहा। यहां फलदार पौधों की सालाना बिक्री शुरू हो गई है। पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर हो रही इस सेल में पौधे खरीदने के लिए न सिर्फ हिमाचल, बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी बड़ी संख्या में किसान पहुंचे।

बिक्री के पहले ही दिन का रिस्पॉन्स शानदार रहा। नौणी कैंपस की तीन नर्सरियों (फल विज्ञान विभाग, मॉडल फार्म और बीज विज्ञान) के साथ-साथ कंडाघाट, रोहड़ू के कृषि विज्ञान केंद्र और मशोबरा व किन्नौर के शारबो रिसर्च स्टेशनों पर काफी भीड़ देखी गई। पहले दिन कुल 362 किसानों ने विभिन्न फलों की किस्मों के 15,250 पौधे खरीदे।
कुल्लू जिले के बजौरा स्थित रीजनल रिसर्च स्टेशन में 8 दिसंबर से ही बिक्री चल रही है। वहां अब तक 164 किसानों ने 4,596 पौधे खरीदे हैं। इस तरह यूनिवर्सिटी अब तक कुल 526 किसानों को 19,846 पौधे बेच चुकी है।
बदल रहा है बागवानी का ट्रेंड
इस बार बिक्री के दौरान एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिला। किसान अब सिर्फ सेब पर निर्भर नहीं रहना चाहते। वे बागवानी में विविधीकरण (Diversification) अपना रहे हैं। यही वजह है कि सेब के अलावा जापानी फल (Persimmon), कीवी और गुठलीदार फलों की मांग में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा नाशपाती, खुमानी, आड़ू, चेरी, अखरोट, अनार और प्लम के पौधे भी खूब बिके।
1.80 लाख पौधे उपलब्ध
यूनिवर्सिटी प्रशासन के मुताबिक, इस साल मुख्यालय और क्षेत्रीय केंद्रों पर बिक्री के लिए कुल 1.80 लाख से ज्यादा पौधे उपलब्ध हैं। बिक्री आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी, लेकिन यह स्टॉक खत्म होने तक ही मिलेगी।