नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सेब किसानों को रोग प्रबंधन पर दी यह सलाह

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By Hills Post

सोलन: मानसून की शुरुआत के साथ, हिमाचल प्रदेश में सेब के बागीचों में रोगों और कीटों के हमलों के प्रति जागरूकता लाने के लिये डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के वैज्ञानिकों ने शिमला ज़िले के प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों का क्षेत्रीय दौरा और जागरूकता अभियान चलाया।

सेब किसानों

विश्वविद्यालय ने पादप रोग विज्ञान, कीट विज्ञान, फल विज्ञान और अन्य प्रासंगिक विषयों के विशेषज्ञों वाली पांच विशेषज्ञ टीमों का गठन किया है। ये टीमें विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर, क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, मशोबरा और सोलन व शिमला के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से ली गई हैं। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर रोग की गंभीरता का आकलन करना और बागवानों को समय पर वैज्ञानिक मार्गदर्शन प्रदान करना है।

आयोजित क्षेत्रीय दौरे

• टीम 1: डॉ. उषा शर्मा, डॉ. नागेंद्र बुटेल, डॉ. नीना चौहान और डॉ. सुमित वशिष्ठ ने कोटखाई ब्लॉक के कलबोग और रतनारी, चिड़गांव ब्लॉक के बनुटी/देवीधार और संदासली, कुताडा, कोई, सोलंग का दौरा किया।

• टीम 2: डॉ. दिनेश ठाकुर, डॉ. उपेंद्र शर्मा, डॉ. संगीता शर्मा और डॉ. अजय बरागटा ने रोहड़ू ब्लॉक के टिक्कर और पुजारली, जुब्बल ब्लॉक के नंदपुर का दौरा किया।

• टीम 3: डॉ. शालिनी वर्मा, डॉ. अजय शर्मा और डॉ. किरण ठाकुर ने कोटखाई के महासू और धरोंक और जुब्बल ब्लॉक के छाजपुर और अंटी में किसानों से बातचीत की।

• टीम 4: डॉ. आरती शुक्ला, डॉ. प्रमोद वर्मा और डॉ. अनुराग शर्मा ने कोटखाई के चैथला, पांडली और खनेटी और जुब्बल ब्लॉक के मधोल का दौरा किया।

• टीम 5: डॉ. विकास शर्मा और डॉ. आर.एस. जरियाल ने ठियोग ब्लॉक के मतियाना और महोग और नारकंडा ब्लॉक के थानेदार और मधावनी का दौरा किया।

प्रमुख अवलोकन और सुझाव

अपने दौरे के दौरान, वैज्ञानिकों ने कई बागीचों में अल्टरनेरिया लीफ ब्लॉच और ब्लाइट की उपस्थिति देखी, जिसकी गंभीरता स्थान के अनुसार अलग-अलग पाई गई। यह भी पाया गया कि कई बागवान रसायनों का अत्यधिक उपयोग कर रहे है। कई मामलों में, कीटनाशकों, कवकनाशी, सूक्ष्म पोषक तत्वों और वृद्धि नियामकों को मिक्स हुए पाए गए, जो की एक ऐसी प्रथा जिसकी वैज्ञानिकों ने सख़्त मनाही की है।

यह भी देखा गया कि गैर-अनुशंसित कृषि रसायनों का उपयोग किया जा रहा था, और छिड़काव कार्यक्रम का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा था। टीमों ने अनुशंसित प्रथाओं का पालन करने के महत्व पर ज़ोर दिया और निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए:

• कीटनाशकों को कवकनाशी, सूक्ष्म पोषक तत्वों या वृद्धि नियामकों के साथ न मिलाएँ।

• केवल अनुशंसित और परीक्षित ब्रांड-नाम वाले कृषि रसायनों का ही उपयोग करें।

• उचित छिड़काव कार्यक्रम का पालन करें और प्रणालीगत और गैर-प्रणालीगत उत्पादों के बीच रासायनिक चक्र सुनिश्चित करें।

• बागीचों में, विशेष रूप से पेड़ों के छायादार हिस्से में, आर्द्र सूक्ष्म जलवायु से बचें।

• कैनोपी में उचित दूरी बनाए रखें और पेड़ की शाखाओं और आस-पास की झाड़ियों को आपस में मिलने से रोकें।

Suggested Fungicide Use:

Fungicides such as propineb (600g), Zineb or Metiram 70% WG or Ziram (600g) as protectant where the infection is mild

U⁠se fungicides such as Hexaconazole + Zineb (500g)  or fluopyram+ tebuconazole (126ml) or carbendazim + Flusilazole (160ml) or Mancozeb + Pyraclostribin (700g) as combi product of systemic and nonsystemic where infection is severe

विभिन्न बगीचों से एकत्रित पत्तियों के नमूनों का विश्वविद्यालय में विश्लेषण किया जाएगा। विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, बजौरा (कुल्लू), केवीके चंबा और केवीके किन्नौर के वैज्ञानिकों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों का दौरा किया और अल्टरनेरिया का प्रभाव बहुत ही कम पाया।

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