नौणी विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

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By Hills Post

सोलन: डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में प्राकृतिक खेती पर एक व्यापक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हाल ही में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के वैज्ञानिकों, स्थानीय प्राकृतिक कृषि संस्थानों के प्रतिनिधियों और किसान मास्टर प्रशिक्षकों ने भाग लिया। यह प्रशिक्षण टिकाऊ कृषि पद्धतियों में कौशल बढ़ाने पर केंद्रित था।

यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत आयोजित किया गया था।  विश्वविद्यालय को भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्राकृतिक खेती मिशन के सात केंद्रों में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी। इस प्रशिक्षण में कुल 21 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 13 किसान मास्टर प्रशिक्षक, स्थानीय प्राकृतिक कृषि संस्थानों के प्रतिनिधि और केवीके के आठ वैज्ञानिक शामिल थे।

कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने किया, जिन्होंने पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ प्राकृतिक खेती में कौशल बढ़ाने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालय की चल रही पहलों और सफलताओं के बारे में जानकारी साझा की। प्रशिक्षण के दौरान, 13 विशेषज्ञ सत्र आयोजित किए गए, जिनमें राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत विभिन्न विषयों को शामिल किया गया। इनमें प्राकृतिक खेती और उसके घटकों, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, कीट नियंत्रण, विविध बहुपरत फसल, डेयरी प्रबंधन, बीज प्रणाली, जैव-इनपुट तैयारी और कृषि सखियों की भूमिका और जिम्मेदारियों का अवलोकन शामिल था। 

एक व्यावहारिक सत्र भी आयोजित किया गया जहां प्रतिभागियों ने बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत जैसे जैव-इनपुट और अग्नि अस्त्र, ब्रह्मास्त्र और नीमाअस्त्र जैसे पौधों की सुरक्षा के उपाय तैयार करना सीखा। प्रतिभागियों ने व्यावहारिक अनुप्रयोगों का निरीक्षण करने के लिए प्रदर्शन फार्मों का भी दौरा किया।

प्रशिक्षण का समापन वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. सीएल ठाकुर के संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों को लागू करने से न केवल उच्च गुणवत्ता वाली उपज सुनिश्चित होती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु लचीलेपन में भी योगदान मिलता है। इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं साहित्य भी वितरित किया गया।

कार्यक्रम के दौरान नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष सी. वर्मा, डॉ. एनके भरत, डॉ. सुधीर वर्मा, डॉ. धरमिंदर कुमार (प्रमुख, केवीके चंबा), डॉ. प्रमोद कुमार (एसोसिएट डायरेक्टर, केवीके किन्नौर) के साथ-साथ प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. चंद्रेश गुलेरिया और डॉ. समृति भी उपस्थित थे।

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