पंचायती राज चुनावों में धवाला की प्रतिष्ठा दांव पर

ज्वालामुखी:  अगले आने वाले पंचायती राज चुनावों को लेकर अभी से महौल गरमाने लगा है। स्थानीय विधायक प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला इन दिनों खासे दवाब में हैं। यह दवाब का ही परिणाम है कि वह इन दिनों इन्हीं चुनावों को लेकर हर दिन रणनिति बना रहे हैं। खासकर उनकी दिलचस्पी हल्के के दो शहरी क्षेत्रों पर है। चंूकि उन्हें पंचायतों के साथ साथ देहरा व ज्वालामुखी नगर पंचायतों से भी प्रत्याशी जिताने होंगे। प्रदेश सरकार में कांगडा से चार कबीना मंत्री हैं। जिनमें शाहपुर से सरवीण चौधरी हैं। उनके हल्के से कोई भी शहरी निकाय नहीं हैं। हालांकि किशन कपूर पर धर्मशाला नगर पालिका का दवाब बनेगा। लेकिन रविन्दर सिंह रवि इस मामले में खुशकिस्मत हैं। वहीं धवाला ही ऐसे मंत्री हैं। जिन पर दो दो शहरी निकाय के चुनाव जिताने का दारोमदार रहेगा।कांगडा जिला में कांगडा धर्मशाला पालमपुर नूरपुर में नगर पालिका हैं तो देहरा ज्वालामुखी में नगर पंचायतें हैं।नये चुनावी महौल में सत्तारूढ दल के लिये शहरी इलाकों में आने वाले इन शहरी निकाय हर एक सीट खास मायने रखती है।चूंकि इस बार अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदान से होगा। जो कि किसी विधायक के चुनाव से कतई कम नहीं है। यही वजह है कि धवाला ने केवल लोगों की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है बल्कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

खुद रमेश धवाला का मानना है कि पंचायती राज संस्थाओं को सुद्वढ़ बना कर रही गांव को समृद्घ बनाया जा सकता है, इस लिए मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धुमल के प्रगतिशील नेतृत्व में प्रदेश की भाजपा सरकार से पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के मानदेय में बिन मांगे बृद्घि की तथा उन्हें सशक्त बनाया। बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेश की पंचायती राज प्रणाली देश के किसी भी राज्यों की प्रणाली से कहीं अच्छी है परंतु इन संस्थाओं के प्रतिनिधि ईमानदारी से अपनी अपनी पंचायतों में समान दृष्टि से और पारदर्शिता से विकास कार्य करना चाहिये ।

रमेश ध्वाला ने कार्यकर्ताओं का आवाहन करते हुए कहा कि निकट भविष्य में पंचायतों के चुनाव हो रहे है। इस लिए इमानदार लोगों को प्रतिनिधित्व देने के लिए उन्हें आगे आना चाहिए।उन्होंने कहा कि गांव के विकास के लिए सरकार के पास धन और साधनों की कमी नहीं है। कमी केवल कार्यभावना की है। उन्होंने खेद व्यक् करते हुए कहा कि आज तक कई पंचायत प्रतिनिधियों की अक्षमता के कारण प्रदेश में विकास कार्यों के लिए उपलब्ध करवाया गया करोड़ों रूपया अन स्पैटं पड़ा हुआ है जो कि अब क खर्च हो जाना चाहिए था। इससे गरीब जनता को लाभ पहुंचना है।