पत्रकारों को मिलेगा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में नि:शुल्क प्रशिक्षण

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By रविंद्र सिंह

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए उठाये जा रहे कदमों की कड़ी में आज नया अध्याय जोड़ते हुए पत्रकारों को चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति की सुविधा तथा कौशल अद्यतन के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में नि:शुल्क आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने की घोषणा की। यह घोषणा मुख्यमंत्री श्भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज यहां हरियाणा निवास में वर्ष 2008 के हरियाणा पत्रकार पुरस्कार सम्मान के लिए आयोजित एक राज्य स्तरीय समारोह में उपस्थित पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए की। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक पत्रकार को अपने शब्दों का चयन अपनी अंतर्आत्मा से करना चाहिए किसी बाहरी दबाव या प्रभाव से उसे अपने शब्दों का चयन करने से बचना चाहिए तभी उसके समाचार की पाठकों में विश्वसनीयता बनेगी।

हुड्डï ने आज मीडिया के बदलते परिदृश्य के सम्बन्ध में कहा कि आज प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे विकास के कारण मीडिया के साधन भी बदल रहे हैं। आज इंटरनेट का जमाना है और समाचार सैकेण्डों में पहुंच जाते हैं। प्रिंट मीडिया की आज भी पाठकों में पहुंच है। पाठक विस्तृत ज्ञान व जानकारी के लिए प्रिंट मीडिया पर ज्यादा भरोसा करते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के आने से प्रिंट मीडिया पर असर पड़ा था, परन्तु अब ऐसा लगता है कि फिर से प्रिंट मीडिया की ओर लोगों का झुकाव बढ़ रहा है और यह फिर से स्थिरता प्राप्त करेगा। आज समाज मीडिया ग्रस्त हो गया है और आज पाठक जानना चाहता है कि मुख्य समाचार क्या है।

इस अवसर पर मुख्य संसदीय सचिव सुश्री शारदा राठौर ने अपने संबोधन में कहा कि पत्रकारिता का कार्य एक कठिन कार्य है और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पत्रकारों के कार्य से ही जनता की शुरूआत होती है चाहे वे समाचार पत्र पढऩे या चैनल देखने का हो। समाज में पत्रकारों के योगदान के बारे सुश्री राठौर ने कहा कि आपके योगदान की शब्दों में व्याख्या नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि प्रैस, लोक सम्पर्क तथा पुलिस विभाग का कार्य चौबिसों घण्टों का है और इस चुनौती में पत्रकार समर्पित भाव से कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व की समाचार एजेन्सियां जैसेकि सीएनएन, एबी तथा एपी इत्यादि एशियन देशों के साथ भेदभाव करती हैं। भारतीय घटनाओं को पश्चिम सभ्यता के चश्में से देखा जाता है। चाहे वे कश्मीर में आंतकवादियों के विरूद्ध सेना की कार्यवाही को हो उसे नकारा जाता है। उन्होंने कहा कि अगर पत्रकारों को कोई गलत करता है तो उसे अवश्य उजागर करना चाहिए। चाहे वे खाप पंचायतों का मामलों हो या कोई समाज से जुड़ा अन्य मामला हो। उन्हें राष्टरीय हित की बात को प्रमुखता दी जानी चाहिए।

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इस अवसर पर सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव डॉ0 के के खण्डेलवाल ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास 170 वर्ष पुराना है और भारतीय पत्रकार अपने देशभक्ति, निष्ठï, लग्न, परिश्रम एवं अपूर्व त्याग के लिए विख्यात रहे हैं। उन्होंने राष्टïर पिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, गणेश शंकर विद्यार्थी, लोक मान्य तिलक विष्णुराव पराडकर, अंबिकाप्रसाद वाजपयी, महावीर प्रसाद द्विवेदी, बनारसी चतुर्वेदी, शिवनारायण मिश्र, चिन्तामणी घोष, भारतेंदु हरिशचंद्र जी से लेकर सच्चिदानंद अज्ञेय तक ऐसे अनेक नाम गिनवाये जिन्होंने पत्रकारिता में अमिट छाप छोड़ी।