हरिद्वार: उत्तराखंड की धरती पर प्रसिद्ध तीर्थ नगरी हरिद्वार में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ मकर संक्रांति पर विधिवत शुरू होने के साथ ही पवित्र गंगा नदी में लाखों लोगों ने डुबकी में लगाई। शताब्दी के इस पहले महाकुंभ के अवसर पर तड़के चार बजे की कड़ाके की सर्दी में ही श्रद्धालुओं का गंगा स्नान के लिए पहुंचना शुरु कर दिया था। बताया जाता है कि मध्यान्ह 12 बजे तक पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा चुके थे। श्रद्धालुओं ने ‘जय गंगा मैया’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे भी लगाए। हरिद्वार में कुंभ मेला हर 12 साल में लगता है।
श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाने के साथ यहां सूर्य और भगवान शिव की पूजा की। स्नान करने वालों में ज्यादातर आम श्रद्धालु थे। साधु-संत आगामी 20 जनवरी से स्नान करेंगे। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। त्वरित कार्रवाई बल, दंगा निरोधी दस्ता, राज्य पुलिस और सेना के जवानों की विभिन्न स्थानों पर तैनाती की गई है।
उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध के दौरान ‘अमृत कलश’ से अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में भी गिरी थीं। धार्मिक मान्यता है कि ‘अमृत कलश’ समुद्र मंथन के दौरान निकला था।15 जनवरी को मौनी अमावस्या और सूर्यग्रहण पर दूसरा कुंभ स्नान किया जाएगा| बीस जनवरी को बसंत पंचमी पर्व पर कुंभ मेले का तीसरा स्नान तथा तीस जनवरी माघ पूर्णिमा के दिन कुंभ का चौथा स्नान किया जाएग़ा | जबकि शाही स्नान बारह फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर, पद्रह मार्च को सोमवती अमावस पर तथा चौदह अपैल को मेष सक्रांति-बैसाखी पर्व पर होगा | इसके अलावा सोलह मार्च को चौबीस मार्च और तीस मार्च को चैत्र पूर्णिमा का स्नान किया जाएगा | 28 अपैल के स्नान के बाद कुंभ मेला समाप्त हो जाएगा |
हरिद्वार: उत्तराखंड की धरती पर प्रसिद्ध तीर्थ नगरी हरिद्वार में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ मकर संक्रांति पर विधिवत शुरू होने के साथ ही पवित्र गंगा नदी में लाखों लोगों ने डुबकी में लगाई। शताब्दी के इस पहले महाकुंभ के अवसर पर तड़के चार बजे की कड़ाके की सर्दी में ही श्रद्धालुओं का गंगा स्नान के लिए पहुंचना शुरु कर दिया था। बताया जाता है कि मध्यान्ह 12 बजे तक पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा चुके थे। श्रद्धालुओं ने ‘जय गंगा मैया’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे भी लगाए। हरिद्वार में कुंभ मेला हर 12 साल में लगता है।
श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाने के साथ यहां सूर्य और भगवान शिव की पूजा की। स्नान करने वालों में ज्यादातर आम श्रद्धालु थे। साधु-संत आगामी 20 जनवरी से स्नान करेंगे। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। त्वरित कार्रवाई बल, दंगा निरोधी दस्ता, राज्य पुलिस और सेना के जवानों की विभिन्न स्थानों पर तैनाती की गई है।
उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध के दौरान ‘अमृत कलश’ से अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में भी गिरी थीं। धार्मिक मान्यता है कि ‘अमृत कलश’ समुद्र मंथन के दौरान निकला था।
15 जनवरी को मौनी अमावस्या और सूर्यग्रहण पर दूसरा कुंभ स्नान किया जाएगा| बीस जनवरी को बसंत पंचमी पर्व पर कुंभ मेले का तीसरा स्नान तथा तीस जनवरी माघ पूर्णिमा के दिन कुंभ का चौथा स्नान किया जाएग़ा | जबकि शाही स्नान बारह फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर, पद्रह मार्च को सोमवती अमावस पर तथा चौदह अपैल को मेष सक्रांति-बैसाखी पर्व पर होगा | इसके अलावा सोलह मार्च को चौबीस मार्च और तीस मार्च को चैत्र पूर्णिमा का स्नान किया जाएगा | 28 अपैल के स्नान के बाद कुंभ मेला समाप्त हो जाएगा |