नाहन : आज के डिजिटल युग में जहाँ एक तरफ तकनीक हमारी ज़िंदगी आसान बना रही है, वहीं दूसरी तरफ अपराधी इसे एक खतरनाक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक हमने ‘फेस स्वैप’ और ‘डीपफेक वीडियो’ के बारे में सुना था, लेकिन अब ‘एआई वॉयस क्लोनिंग’ (AI Voice Cloning) ने साइबर सुरक्षा के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब ठग आपकी आवाज़ की नकल कर आपके ही परिवार वालों से लाखों की लूट कर रहे हैं।
क्या है यह तकनीक और कैसे होती है आवाज़ की चोरी?
वॉइस क्लोनिंग एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक है जो किसी भी इंसान की आवाज़ का हुबहू नमूना तैयार कर सकती है। इसके लिए अपराधियों को सिर्फ 10 से 30 सेकंड की आपकी आवाज़ की रिकॉर्डिंग की ज़रूरत होती है। यह रिकॉर्डिंग आपके सोशल मीडिया वीडियो, इंस्टाग्राम रील या यूट्यूब वीडियो से आसानी से उठाई जा सकती है। एआई सॉफ्टवेयर आवाज़ की पिच, टोन और बात करने के अंदाज़ को इतनी बारीकी से समझ लेता है कि असली और नकली आवाज़ में फर्क करना नामुमकिन हो जाता है।

भावनात्मक दबाव बनाकर लूट
इस अपराध का सबसे डरावना पहलू इसका तरीका है। अपराधी किसी बुजुर्ग या माता-पिता को फोन करते हैं। फोन पर उनके बेटे या बेटी की रोती हुई आवाज़ सुनाई देती है। वे कहते हैं, “पापा, मेरा एक्सीडेंट हो गया है” या “मुझे पुलिस ने पकड़ लिया है, मुझे तुरंत 50 हज़ार रुपये चाहिए।” आवाज़ इतनी असली होती है कि परिजन घबराहट में बिना सोचे-समझे अपराधी के बताए खाते में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
भारत में बढ़ता खतरा: विशेषज्ञों की चेतावनी
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में पिछले कुछ महीनों में ऐसे मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, “अपराधी अब सिर्फ मैसेज या ईमेल तक सीमित नहीं हैं। वे मानवीय भावनाओं और भरोसे के साथ खेल रहे हैं। जब हम अपने किसी प्रियजन की आवाज़ सुनते हैं, तो हमारा दिमाग तर्क करना बंद कर देता है, और ठग इसी का फायदा उठाते हैं।”
बचाव के लिए क्या करें? (सुरक्षा कवच)
अपने परिवार के साथ एक ऐसा गुप्त शब्द तय करें जो सिर्फ आप जानते हों। किसी भी संदिग्ध कॉल पर वह कोड पूछें। यदि कोई पैसों की मांग करे, तो तुरंत फोन काटें और उस परिजन को स्वयं कॉल करके पुष्टि करें। किसी भी अनजान नंबर से आने वाले वीडियो कॉल को न उठाएं, क्योंकि वहां से आपका चेहरा और आवाज़ दोनों चुराए जा सकते हैं।
यदि आप ठगी का शिकार होते हैं, तो बिना देरी किए नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।