पालमपुर: चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजना का शुभारंभ किया है। यह प्रतिष्ठित परियोजना फिलीपींस स्थित विश्व प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के सहयोग से शुरू की गई है, जिसके तहत हिमाचल की चावल आधारित फसल प्रणालियों पर प्राकृतिक खेती के प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा।

इस परियोजना को आईआरआरआई द्वारा ₹15.30 लाख के प्रारंभिक अनुदान के साथ मंजूरी दी गई है, जिसमें से ₹7.65 लाख की पहली किस्त विश्वविद्यालय को प्राप्त भी हो चुकी है।
विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. नवीन कुमार ने बताया कि यह शोध परियोजना 2027 तक चलेगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि प्राकृतिक खेती को अपनाने से चावल-गेहूं और चावल-आलू जैसी प्रमुख फसल प्रणालियों की उत्पादकता, लाभप्रदता, मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह शोध खरीफ 2025 सीजन में जैविक कृषि और प्राकृतिक खेती विभाग में शुरू हो चुका है।
कुलपति ने इस अंतरराष्ट्रीय सहयोग को विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि और गर्व का विषय बताया। उन्होंने कहा, “इस शोध से न केवल विश्वविद्यालय की वैश्विक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, बल्कि इसके परिणाम प्रदेश के किसानों के लिए भी बेहद लाभकारी साबित होंगे।” उन्होंने वित्तीय सहायता के लिए आईआरआरआई का आभार व्यक्त किया।
जैविक कृषि और प्राकृतिक खेती विभाग इस परियोजना का नेतृत्व कर रहा है, जिसे राष्ट्रीय ‘प्राकृतिक खेती मिशन’ के तहत ‘प्राकृतिक खेती केंद्र’ के रूप में भी नामित किया गया है।
इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए कुलपति ने सहयोगी वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी, जिसमें आईआरआरआई, फिलीपींस के डॉ. पन्नीरसालवेन और डॉ. ए. के. मिश्रा तथा पालमपुर विश्वविद्यालय के डॉ. रामेश्वर, डॉ. गोपाल कतना और डॉ. राकेश कुमार शामिल हैं।