ज्वालामुखी: खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री श्री रमेश धवाला ने खाद्यान्नों एवं अन्यों वस्तुओं की लगातर बढ़ती कीमतों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण पहले ही मंहगाई के बोझ से दबी जनता का जीना दुश्वार हो गया है।धवाला ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमण्डल ने डीजल पर वैट को 14 प्रतिशत घटाकर 9.70 प्रतिशत करने का निर्णय लेकर जनता को राहत देने का प्रयास किया है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से डीजल की कीमत में लगभग 1.54 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में डीजल और एल.पी.जी. की कीमतों में भारी वृद्धि की गई है। पहली अप्रैल, 2004 को डीजल का मूल्य 22.12 रुपये प्रति लीटर था, जो दिसम्बर, 2004 में 26.76 रुपये हो गया।
26 जून, 2005 में डीजल 28.82 रुपये, 7 सितम्बर, 2005 को 31.33 रुपये, 6 जून, 2006 को 33.41 रुपये, जून 2008 में 35.49 रुपये, नवम्बर, 2008 में 35.53 रुपये, सितम्बर, 2010 में 38.40 रुपये और जून 2011 में 41.57 रुपये प्रति लीटर हो गया।इसी प्रकार एल.पी.जी. सिलैण्डर का मूल्य प्रथम जनवरी, 2004 को 241.45 रुपये था। 16 जून 2004 को यह 261.55 रुपये, 5 नवम्बर, 2005 को 281.55 रुपये, 5 जून, 2008 को 346.30 रुपये, 26 जून, 2010 को 359.15 रुपये हो गया। 25 जून, 2011 को इसकी कीमत 411.15 रुपये तक बढ़ा दी गई।रमेश धवाला ने कहा कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2008-09 में हिमाचल प्रदेश को 63,483 किलो लीटर मिट्टी तेल आबंटित किया था, जिसमें निरन्तर कटौती का वर्ष 2009-10 में 58,422 व वर्ष 2010-11 में 40,260 किलो लीटर कर दिया गया। केन्द्र ने इस वर्ष भी मिट्टी तेल में लगभग 52 प्रतिशत की कटौती की है।
राज्य की आवश्यकता 5627 किलो लीटर प्रति माह है, जबकि वर्तमान में केवल 2576 किलो लीटर मिट्टी तेल ही आबंटित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पहाड़ी राज्य में लकड़ी के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण मिट्टी तेल की नितान्त आवश्यकता रहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की मांग के अनुरूप मिट्टी तेल का आबंटन बहाल करने के लिए मुख्य मंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कई बार भारत सरकार से मामला उठाया है। लेकिन प्रदेश के आग्रह को मानने की बजाय केन्द्र ने इस कोटे में 52 प्रतिशत की कमी लाकर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार किया है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि डीजल व रसोई गैस की कीमतों में की गई वृद्धि जनहित में वापिस ली जाए।