प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पर संकट, अधर में लटका परिषद का गठन

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By नव ठाकुरिया

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मीडिया की आजादी की निगरानी करने वाली संस्था प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) खुद अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। पिछले एक साल से यह संस्था लगभग निष्क्रिय पड़ी है। 14वीं परिषद का कार्यकाल खत्म हुए लंबा समय बीत चुका है, लेकिन 15वीं परिषद का गठन अब तक कानूनी दांव-पेच में उलझा हुआ है। हालात यह हैं कि 28 सदस्यों वाली इस अहम संस्था में फिलहाल अध्यक्ष और सचिव के अलावा सिर्फ 5 सदस्य ही काम कर रहे हैं।

क्यों खाली पड़ी हैं कुर्सियां?

साल 1966 में बनी पीसीआई का मुख्य काम प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और मीडिया के गिरते मानकों को सुधारना है। नियम के मुताबिक, काउंसिल में 6 संपादक और 7 कामकाजी पत्रकार शामिल होने चाहिए। लेकिन 15वीं परिषद में इनकी नियुक्ति का मामला अदालत में अटका हुआ है।

विवाद की असली वजह वह बदलाव है, जिसके तहत अब सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय पत्रकार यूनियनों की जगह प्रेस क्लबों से करने की बात कही गई है। पत्रकार संगठनों का तर्क है कि प्रेस क्लब सामाजिक गतिविधियों के केंद्र होते हैं और उनमें गैर-पत्रकार भी शामिल होते हैं। इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन और ऑल इंडिया वर्किंग न्यूज कैमरामेन एसोसिएशन ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी है, जिसके चलते नियुक्तियां रुकी हुई हैं।

सरकार का पक्ष

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वीकार किया है कि परिषद के गठन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अदालती मामले के कारण पत्रकारों और संपादकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तीन सांसदों संबित पात्रा, नरेश म्हास्के और कालीचरण मुंडा को सदस्य के तौर पर नामित किया है।

13 दिसंबर को बैठक की तैयारी

मौजूदा पीसीआई अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई का कार्यकाल 16 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इससे ठीक पहले 13 दिसंबर को परिषद की पहली बैठक बुलाने की तैयारी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस ‘प्रेस काउंसिल’ में प्रेस के लोग यानी पत्रकार और संपादक ही नहीं होंगे, उस बैठक का क्या औचित्य रह जाएगा?

बदलते दौर में कमजोर पड़ती संस्था

यह संकट ऐसे समय में है जब मीडिया का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। आज देश में 400 से ज्यादा न्यूज़ चैनल और हजारों डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, लेकिन पीसीआई का अधिकार क्षेत्र केवल अखबारों और समाचार एजेंसियों तक सीमित है। टीवी और डिजिटल मीडिया अभी भी इसके दायरे से बाहर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फेक न्यूज और गिरते पत्रकारिता मूल्यों के दौर में पीसीआई का मजबूत और सक्रिय होना बेहद जरूरी है।

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नव ठाकुरिया

लेखक गुवाहाटी स्थित एक पत्रकार हैं, जो विश्व भर के विभिन्न मीडिया संस्थानों के लिए नियमित रूप से लेखन करते हैं।