ज्वालामुखी: हिमाचल प्रदेश में बडे प्रचार के साथ सरकार ने कुछ साल पहले लोकमित्र योजना शुरू की थी। लेकिन यह अंजाम पर पहुंचने से पहले ही औंधे मुंह गिर गयी। योजना के तहत इन्हीं लोकमित्र केन्द्रों में ग्रामीणों के बिजली पानी टेलिफोन बिल जमा होने थे। वहीं जमीन के पर्चे जमाबन्दी तक यहीं मिलती। लोंगों को घर द्घार पर सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराने का दूसरा मकसद बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया कराना था। बहरहाल दो साल हो योजना अंजाम तक नहीं पहुंची है। कुछ स्थानों पर लोकमित्र केन्द्र खुले ही नहीं जहां खुले हैं। वह बंद होने के कगार पर हैं।
योजना हिमाचल प्रदेश में एक बडा घोटाला बन कर रह गई है। योजना से जुड अपनी रोजी रोटी का जुगाड करने की चाहत रखने वाले कई युवा आज अपने आपको छला हुआ महसूस कर रहे हैं। इस संवाददाता की ओर से जुटाई गई जानकारी के मुताबिक प्रदेश वित्त विभाग ने कांगडा जिला में लोक मित्र केन्द्र स्थापित करने के लिये जूम डेवलपर नाम की एक कंपनी को टेंडर के वक्त काम देने के लिये छाटां था। यह उन दो कंपनियों में से एक थी जिसे काम दिया गया था। दरअसल लोकमित्र केन्द्र स्थापित करेन के पीछे सोच यही थी कि दूरदराज के ग्रामीण एक ही जगह अपने ही गांव में बिजली पानी के बिल न केवल जमा करवा लेते बल्कि राजस्व महकमें के कामकाज जैसे परचा जमाबंदी को वहां से ले लेते। साथ ही कुछ ओर सरकारी कामकाज भी यहीं होने थे। इससे रोजगार के भी अवसर गांव के युवाओं को मिलते। उन्हें अपने यहां इसके लिये कंप्यूटर प्रिंटर इंटरनेट की सुविधाओं के साथ अपनी दुकाने में वेब कैमरा स्थापित करना था। व इसे ही लोकमित्र केन्द्र माना जाना था। बदले में युवक को अढाई फीसदी कमीशन मिलनी थी। की गई जांच पडताल से पता चला है कि कंपनी ने युवाओं से निचले क्षेत्रों की पंचायतों ग्यारह हजार रूपये प्रति पंचायत लिये जबकि ऊपरी क्षेत्रों की पंचायतों सत्रारह हजार रूपये लिये व वादा किया कि उन्हें लोकमित्र केन्द्र के लिये सेवा व साफटवेयर दिया जायेगा। ज्यादातर पंचायतों में युवाओं ने इस योजना को हाथों हाथ लिया। व रकम जमा करवा दी गई। मोट अनुमान के मुताबिक कंपनी ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में करीब ४५ करोड की उगाही की। लेकिन विडंबना है कि आज तक कहीं कोई लोकमित्र केन्द्र कार्यशील ही नहीं हुआ। खासकर कांगडा जिला में तो हालात बदतर ही हैं। गरीबी बेकारी से जूझ रहे युवाओं ने अपनी खून पसीने की कमाई में से एक एक लाख रूपये का निवेश इसके लिये किया। कुछ पंचायतों में जिला कांगडा में जहां लोकमित्र केन्द्र खोले गये थे ने आरोप लगाया कि कंपनी ने कांगडा से अपना दफतर बंद कर लिया है। बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री जब कांगडा प्रवास पर थे तो ज्वालामुखी में ही उनके नोटिस में यह मामला आया था। उसके बाद उन्होंने वित्त विभाग से कंपनी की बैंक गारंटी को जब्त करने के आदेश दिये। ताकि कंपनी के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज किया जा सके।
सूचना प्राद्योगिकी एवं वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय त्यागी ने बताया कि उनके नोटिस में हाल ही में यह मामला आया था। मैंने इस मामले में धोखाधडी का मामला दर्ज करने के आदेश दिये हैं। मामला प्रगति पर है। लिहाजा इस मामले में कोई ठोस कदम उठाये जायेंगे। काबिलेगौर है कि योजना के तहत संबधित जिलों के जिलाधीश को विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करना था। इसी के तहत कांगडा के जिलाधीश आर एस गुप्ता से भी कंपनी के लोग लोकमित्र स्थापित करने से पहले मिले थे। लेकिन कांगडा के जिलाधीश का इस मामले में कडा रवैया रहा। कांगडा के जिलाधीश ने बताया कि उस वक्त उन्हें कंपनी के कुछ प्रस्ताव सही नही लगे। उन्हें नहीं माना गया। गुप्ता ने बताया कि उनके पास कंपनी का न तो कोई पता है न ही कोई टेलिफोन नंबर।