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फॉल आर्मी वर्म से मक्की के बचाव के लिए करें कौराजेन का स्प्रे

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ऊना: फॉल आर्मी वर्म से मक्की को बचाने के लिए कृषि विभाग के पास कौराजेन कीटनाशक सभी विकास खंडों में उपलब्ध करवाई जा रही है। कौराजेन का पहला स्प्रे बुआई के दस दिन बाद मक्की के पत्तों के भंवर में करें। स्प्रे को सुबह के शुरुआती घंटों में या शाम के समय में करना चाहिए और स्प्रे नोजल को पत्ती भंवर की ओर रखा जाना चाहिए, जिसमें लार्वा आमतौर पर फीड करते हैं। बुआई के 18-22 दिन के बाद स्प्रे को दोहरायें। 

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यह जानकारी देते हुए कृषि विभाग के उप-निदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने कहा कि पिछले एक दशक से देश की कई हिस्सों में खरीफ मक्का में फॉल आर्मी वर्म का अधिक प्रकोप दिखाई दे रहा है। इसका अधिक प्रकोप होने पर फसल को एक ही रात में भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इस कीट की व्यस्क मादा मोथ पौधों की पत्तियों और तनों पर अण्डे देती है। एक बार में मादा 50-200 अण्डे देती है। यह अण्डे 3-4 दिन में फूट जाते हैं तथा इनसे निकलने वाले लार्वा 14-22 दिन तक इस अवस्था में रहते हैं। कीट के लार्वा के जीवन चक्र की तीसरी अवस्था तक इसकी पहचान करना मुश्किल है, लेकिन चौथी अवस्था में इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है।

डॉ. धीमान ने कहा कि चौथी अवस्था में लार्वा के सिर पर अंग्रेजी के उल्टे ‘वाई’ आकार का सफेद निशान दिखाई देता है। इसके लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाता है जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाता है और बाद में पौधों के भुट्टे में घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है।   

उप-निदेशक ने कहा कि यह कीट बहु फसल भक्षी है, जो 80 से अधिक फसलों को नुकसान पहुंचाता है। अगर समय रहते फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान कर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले समय में मक्का एवं अन्य फसलों में भारी तबाही हो सकती है। फसल के लिए लार्वा अवस्था हानिकारक होती है। परन्तु कीट के सम्पूर्ण नियंत्रण हेतु इसके जीवन काल की हर अवस्था को नष्ट करना जरूरी है। उन्होंने किसानों से कहा कि भूमि की गहरी जुताई करें, ताकि कीट की लार्वा अवस्था या प्यूपा भूमि में गहरा दब जाए।