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बिजली वाले प्रदेश के गांवों में बिजली की लौ नही

नाहन: बिजली वाला प्रदेश कहे जाने वाले प्रदेश में आजादी के अर्धशतक बीतने के बाद भी यहीं एक घर नहीं बल्कि तीन तीन गांव को बिजली की लौ न मिलें तो यह प्रदेश सरकार की काबलियत पर शक पैदा करता है । दशको से जनजातीय क्षेत्र का दर्जा पाने का सपना संजोने वाले शिलाई क्षेत्र की दुर्गम पंचायत कांटी मशवा के तीन गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है । प्रदेश के लिए शर्म की बात तो यह है कि इन ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाईल के सिग्नल मौजूद है मगर मोबाईल को चार्ज करने के लिए बिजली ही नहीं है । 40 परिवारों के गांव धार भण्डारा, खडाल, शशुणा जिन्हें जिला की फैक्टरियों से निकलने वाले धुंए की चिमनियां गांव से कुछ ही दूरी पर 2 – 2 माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट एक मुख्य पावर हाउस गिरी नगर मुहं चिढाते है वहीं भाग्य की विडम्बना कहें कि क्षेत्र के विधायक भी कभी इस गांव से मिलने नहीं आते है । विकास के बडे बडे दावे व किसानों व ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि की अगर हकीकत जाननी हों तो शिलाई के दुर्गम क्षेत्रों का दौरा किया जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी । सतौन से कांटी मशवा, कोडगा आदि तक जो सडक बनी है उस पर बस चलना तो दूर की बात परन्तु जो पिकअप चलती है उनमें बैठना जीवन को भाग्य के सहारे छोडने से ज्यादा कुछ नहीं है । कच्चे रास्ते पर सफर करते समय कई जगह कलेजा मुंह में आ जाता है । प्रशासन जनता के द्वार परन्तु यह पूछा जाए कि प्रशासन ने इस क्षेत्र का दौरा कितनी बार किया है । कुल मिलाकर सरकारी सुविधाओं के अभाव में क्षेत्र के भोले भाले लोग रोज अपने अरमानों के गले कांटो की सेज पर सोते है।

विघुत विभाग सतौन के सहायक अभियंता एस एन उप्रेती ने कहा कि इन गांवों को राजीव गंगा योजना के तहत लिया गया है तथा जल्द ही टैंडर लगाकर कार्य शीघ्र शुरू करवाया जाएगा।

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