नाहन : राजगढ़ क्षेत्र के आराध्य देव शिरगुल महाराज के नाम पर गठित शिरगुल जनसेवा समिति समाज में “नर सेवा ही नारायण सेवा” के सिद्धांत को आत्मसात करते हुए निरंतर मानव सेवा के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रही है। समिति ने उपमंडल पच्छाद के नारग क्षेत्र में एक अत्यंत दयनीय स्थिति से जूझ रहे परिवार की सहायता कर मानवता और करुणा की एक और प्रेरणादायी मिसाल पेश की है।
नारग क्षेत्र में रहने वाली एक दृष्टिहीन महिला, सांस की गंभीर बीमारी से पीड़ित उसके वृद्ध पति तथा उनका आठ वर्षीय पुत्र किसी भी आजीविका साधन के बिना कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। वृद्ध पति को ही घर की पूरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है, जिससे परिवार की स्थिति और भी चिंताजनक बनी हुई थी।

परिवार की जानकारी मिलते ही शिरगुल जनसेवा समिति ने त्वरित निर्णय लेते हुए नगर कोटी माता मंदिर, नारग में 11 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके साथ ही समिति के सचिव राजेंद्र सूद ने उस आठ वर्षीय बच्चे की जीवनपर्यंत शिक्षा का पूरा खर्च वहन करने का संकल्प लेकर समाज के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
समिति के सेवा कार्यों से प्रभावित होकर नारग क्षेत्र के लगभग एक दर्जन लोगों ने शिरगुल जनसेवा समिति की सदस्यता भी ग्रहण की। समिति के फाउंडर सदस्य रविंद्र कंवर ने बताया कि शिरगुल जनसेवा समिति की स्थापना मानवता, सेवा और संवेदना के मूल मूल्यों पर आधारित है। समिति का उद्देश्य जरूरतमंद, निराश्रित एवं असहाय लोगों की हरसंभव सहायता करना तथा गंभीर बीमारियों से जूझ रहे व्यक्तियों को आर्थिक एवं नैतिक संबल प्रदान करना है।
उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी समिति द्वारा अनेक जरूरतमंद परिवारों की सहायता की जा चुकी है। इसी वर्ष मंडी जिले में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान समिति ने एक लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की थी। इसके अतिरिक्त, आपदा में अपने मकान खो चुके दो परिवारों को 21-21 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी दी गई।
वर्तमान में भी समिति द्वारा गंभीर बीमारियों से पीड़ित कई लोगों को मासिक आर्थिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। समिति के लगभग 300 सदस्य नियमित मासिक चंदे के माध्यम से योगदान दे रहे हैं, जिससे जरूरतमंदों तक समय पर सहायता पहुंचाई जा सके।
रविंद्र कंवर ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे सेवा की इस पावन मुहिम से जुड़कर जरूरतमंदों के जीवन में आशा, सहयोग और संवेदना का प्रकाश फैलाएं, क्योंकि सेवा ही सच्ची साधना है।