बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने नौणी में मनाया अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस

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By Hills Post

सोलन: नौणी में बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (बी.एस.आई.) के क्षेत्रीय केंद्र नौणी ने वीरवार को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया है। इस अवसर पर भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेड.एस.आई.) हाई अल्टीट्यूट स्टेशन सोलन की प्रभारी डॉ. अवतार कौर सिद्धूने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि जेड.एस.आई. के वैज्ञानिक प्रकाश चंद पठानिया ने  विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया क्षेत्रीय केंद्र सोलन के प्रभारी डॉ. कुमार अम्बरीश ने प्रतिभागियों के साथ अतिथियों का स्वागत किया और जैव विविधता दिवस के बारे में विस्तार से जानकारी दी।  

शमरोड़ सीसे स्कूल के 15 बच्चों ने लिया भाग
 इस अवसर पर सीनियर सेकंडरी स्कूल शमरोड़ के विद्यार्थियों ने जैव विविधता दिवस कार्यक्रम में भाग लिया।  इस मौके पर आयोजित सिट एंड ड्रा प्रतियोगिता में 9वीं से 10+2 कक्षा तक के कुल 15 विद्यार्थियों ने टीचर दीपिका के साथ भाग लिया।  इस प्रतियोगिता में स्कूल की नीतिका पहले, आरूषी दूसरे और सपना तीसरे स्थान पर रही। इसके अलावा आकांक्षा चहल और अर्नव को  सांत्वना पुरस्कार दिए गए। मुख्यातिथि ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।

ये थीम है इस बार का….
बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (बी.एस.आई.) के क्षेत्रीय केंद्र  नौणी के प्रभारी डॉ. कुमार अम्बरीश ने कहा कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर, “प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास” थीम है।  प्रकृति के लिए यह योजना सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से कैसे जुड़ती है, यह दर्शाता है कि दोनों एजेंडे एक साथ आगे बढऩे चाहिए क्योंकि वे एक दूसरे का समर्थन करते हैं।

उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि कैसे सार्वजनिक शिक्षा, जागरूकता और मानव गतिविधियों की महत्वपूर्ण चुनौतियों की पहचान को बढ़ाया जाए, जो जैविक विविधता के साथ-साथ भावी पीढिय़ों के लिए वैश्विक संपत्ति के रूप में जैव विविधता की भूमिका पर आधारित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज की दुनिया में जैविक विविधता का बहुत महत्व है। यह लोगों को शिक्षित करने और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। उन्होंने छात्रों से अपने आस-पास की जैविक विविधता की रक्षा करने का संकल्प लेने को भी कहा।

प्राकृतिक संसाधनों का अतिदोहन हानिकारक: डॉ. अवतार कौर
कार्यक्रम की मुख्यातिथि व जेड.एस.आई. सोलन की प्रभारी डॉ. अवतार कौर सिद्धू,  ने कहा कि सतत विकास और पारिस्थितिकी तंत्र और प्रजातियों के दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता कितनी महत्वपूर्ण है। यह स्वच्छ हवा और पानी, मिट्टी की उर्वरता, जलवायु विनियमन और परागण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन समय के साथ, यह आवास की हानि, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अतिदोहन जैसे अभूतपूर्व खतरों का सामना कर रही है।

बी.एस.आई. के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप एस. डोगरा ने कहा कि बताया कि किस प्रकार पारंपरिक ज्ञान औषधीय एवं सुगंधित पौधों की रक्षा करके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, स्थानीय ग्रामीण समुदायों के साथ पहुंच एवं लाभ साझा करके जैव विविधता संरक्षण में सहायक हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार पारंपरिक चिकित्सा, पैतृक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान, स्थानीय प्रथाओं एवं सांस्कृतिक पहचान के बीच एक सेतु है, जो लोगों एवं ग्रह के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए संतुलन बहाल करने हेतु सतत विकास के साथ जुड़ा हुआ है।

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