भाजपा के दो मंत्री अपने वजूद को बचाने के लिये आमने सामने डटे

ज्वालामुखी (बिजेन्दर शर्मा) । हिमाचल भाजपा में अपनी ही सरकार के खिलाफ चल रही उथल पुथल व आरोपों व प्रत्यारोपों के दौर के बीच बगावत के मूल मुद्दे को लेकर नयी बहस छिड़ गयी है। देहरा सब डिविजन की राजनिति में बवाल खड़ा करने वाले परागपुर के पूर्व विधायक नवीन धीमान के तेवर भले ही सरकार के लिये कोई ज्यादा मायने नहीं रखते। लेकिन अब सवाल उठने लगा है कि ज्वालामुखी के विधायक प्रदेश के सिंचाई मंत्री रमेश धवाला भी बागी हो गये तो मामला पेचीदा हो सकता है। धवाला प्रदेश के सिंचाई मंत्री रविन्द्र सिंह रवि के ज्वालामुखी हल्के में लगातार दिये जा रहे दखल को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। पिछले दिनों धवाला समथर्क भाजपा कार्यकारिणी ने सामूहिक रूप से संगठन से इस्तीफा दे दिया था। बाद में मामले को प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के दखल की वजह से निपटाया गया था। लेकिन बावजूद इसके हालात नहीं सुधरे व सरकार में धवाला को वह तव्वज्जो नहीं मिल पाई जिसकी उन्हें दरकार थी। यही वजह है कि धवाला ने अपना दवाब दिखाने के लिये पहले भाजपा सांसद राजन सुशांत के इलाके में दौरे कराये,लेकिन उससे भी बात नहीं बनी तो हाल ही संपन्न प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक में वह शामिल नहीं हुये। दरअसल डिलिमटेशन के बाद कांगडा जिला के राजनैतिक मानचित्र से एक विधानसभा क्षेत्र की कमी का प्रभाव रविन्द्र सिंह रवि के हल्के थुरल पर ही पडा है। थुरल का वजूद खत्म हो गया है। इसका एक हिस्सा ज्वालामुखी हल्के में आ गया है। जिससे ज्वालामुखी हल्के की चंगर बैल्ट में रवि का दखल बढ़ा है। जो धवाला को नागवार गुजर रहा है। नये उभरे राजनैतिक समीकरणों में धवाला विरोधी रवि के साथ लामबंद हो रहे हैं। जिससे धवाला को अपना राजनैतिक वजूद खतरे में दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि भाजपा के दो मंत्री अपने वजूद को बचाने के लिये आमने सामने आ डटे हैं।

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