नई दिल्ली: केन्द्रीय मानव संसाधन विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं भू विज्ञान, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने कहा कि विज्ञान अनुसंधान और भारतीय विश्वविद्यालयों में गुणवत्ता शिक्षा और विशिष्टता के लिए तीन प्रमुख सिद्धान्तों को तय किया है, उच्चतर शिक्षा के किसी भी संस्थान को इन्हें समाविष्ट करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि इसकी इच्छा और आवश्यकता रखने वाले सभी लोगों को शैक्षिक अवसर भी उपलब्ध करा रहे हैं।
तमिलनाडु के चेन्नई में एसआरएम विश्वविद्यालय में 98वें ज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रीय नवप्रवर्तन परिषद (एनआईसी), नवप्रवर्तन दशक के लिए एक खाका तैयार करेगा, जो एक समग्र और दीर्घकालीन नवप्रवर्तन भारतीय परितंत्र को बनाने में मदद करेगा। उच्चतर शिक्षा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात 15 प्रतिशत के करीब है।
मंत्री महोदय ने कहा कि उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन और उच्चतर शिक्षा में आपूर्ति और मांग में अंतर को कम करने के लिए मंत्रालय ने इन दोनों पक्षों के संदर्भ में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन का लक्ष्य 2020 के अंत तक दोगुना अर्थात कम से कम 30 प्रतिशत तक होना चाहिए।