बरवाला (पंचकूला)- हरियाणा ने आधुनिक अवायुजीव विषयक पाचक तकनीक का प्रयोग करते हुए भारत के सबसे बड़े पोल्ट्री कूड़े पर आधारित 5.6 मेगावॉट बिजली परियोजना स्थापित करने में अग्रिम स्थान हासिल किया है। हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) ने आज बरवाला (पंचकूला) में यह परियोजना स्थापित करने के लिए मैसर्ज ग्रीन इंडस बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, गुडग़ांव के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। हरेडा की ओर से हरेडा की निदेशक सुमिता मिश्रा और मैसर्ज ग्रीन इंडस बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, गुडग़ांव की ओर से कंपनी के निदेशक दीपक वर्मा ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। परियोजना की पृष्ठिïभूमि के बारे में जानकारी देते हुए श्रीमती मिश्रा ने कहा कि हरियाणा में वर्षों से कृषि औद्योगिकी विकास का प्रतिनिधि रहा बरवाला का पोल्ट्री उद्योग इस क्षेत्र में सरकार एवं प्रशासन की अनुकूल नीतियों का परिणाम है और उत्तरी भारत में पोल्ट्री उद्योग के केन्द्र के रूप में उभरा है। बरवाला क्षेत्र में मुर्गी पालन के कुल 133 फार्म है, जिसकी कुल क्षमता 81 लाख पक्षियों की है। ये फार्म प्रतिदिन लगभग 650 मीट्रिक टन कूड़े का उत्पादन करते है।
उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग के विकास में बड़ी समस्या पोल्ट्री कूड़े के उचित निपटान की है क्योंकि भारी मात्रा में अपशिष्टï का संचय मक्खियों, कीड़ों तथा अन्य परजीवों के प्रजनन का आधार बन रहा है और इससे बरवाला एवं आसपास के क्षेत्रों में दुर्गन्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए इस कूड़े से बिजली उत्पादन के प्रस्ताव को हरियाणा पोल्ट्री फामर्स एसोसिएशन के माध्यम से पोल्ट्री मालिकों की सहमति के उपरांत डिजाइन किया गया है। यह परियोजना ग्रीन इंडस बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित की जायेगी जोकि मैसर्ज एमर्जेंट वेंचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंडस टैरा एनर्जी एवं हरियाणा पोल्ट्री फामर्स एसोसिएशन का एक सयुंक्त उद्यम है। उन्होंने बताया कि यह परियोजना आधुनिक अवायुजीव विषयक पाचक तकनीक पर आधारित है तथा इसे दो चरणों में क्रियान्वित किया जायेगा। इसके पहले चरण में नवम्बर, 2011 तक 1.4 मेगावॉट क्षमता का बिजली उत्पादन शुरू होगा। इसके बाद 4.2 मेगावॉट क्षमता का दूसरे चरण पहले चरण के समंजन एवं स्थिरीकरण के उपरांत जनवरी, 2012 तक शुरू होगा। इस बिजली के उत्पादन के लिए परियोजना को प्रतिदिन लगभग 500 मीट्रिक टन पोल्ट्री कूड़े की आवश्यकता होगी।उन्होंने बताया कि इस परियोजना से उत्पादित संपूर्ण बिजली को राज्य निगमों द्वारा खरीदा जायेगा, जिसके लिए हरियाणा बिजली विनियामक आयोग द्वारा 2015-16 तक तीन प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ वर्ष 2010-11 के लिए 6.06 रुपये का टैरिफ निर्धारित किया है और टैरिफ पर पांच वर्षांे के बाद परियोजना की आर्थिक व्यवस्था के आंकड़ों की जांच के उपरांत पुन: भारत के सबसे बड़े पोल्ट्री फार्म के कूड़े से बनेगी बिजली
बरवाला (पंचकूला)- हरियाणा ने आधुनिक अवायुजीव विषयक पाचक तकनीक का प्रयोग करते हुए भारत के सबसे बड़े पोल्ट्री कूड़े पर आधारित 5.6 मेगावॉट बिजली परियोजना स्थापित करने में अग्रिम स्थान हासिल किया है। हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) ने आज बरवाला (पंचकूला) में यह परियोजना स्थापित करने के लिए मैसर्ज ग्रीन इंडस बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, गुडग़ांव के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कियेेे। हरेडा की ओर से हरेडा की निदेशक सुमिता मिश्रा और मैसर्ज ग्रीन इंडस बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, गुडग़ांव की ओर से कंपनी के निदेशक दीपक वर्मा ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। परियोजना की पृष्ठिïभूमि के बारे में जानकारी देते हुए श्रीमती मिश्रा ने कहा कि हरियाणा में वर्षों से कृषि औद्योगिकी विकास का प्रतिनिधि रहा बरवाला का पोल्ट्री उद्योग इस क्षेत्र में सरकार एवं प्रशासन की अनुकूल नीतियों का परिणाम है और उत्तरी भारत में पोल्ट्री उद्योग के केन्द्र के रूप में उभरा है। बरवाला क्षेत्र में मुर्गी पालन के कुल 133 फार्म है, जिसकी कुल क्षमता 81 लाख पक्षियों की है। ये फार्म प्रतिदिन लगभग 650 मीट्रिक टन कूड़े का उत्पादन करते है।
उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग के विकास में बड़ी समस्या पोल्ट्री कूड़े के उचित निपटान की है क्योंकि भारी मात्रा में अपशिष्टï का संचय मक्खियों, कीड़ों तथा अन्य परजीवों के प्रजनन का आधार बन रहा है और इससे बरवाला एवं आसपास के क्षेत्रों में दुर्गन्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए इस कूड़े से बिजली उत्पादन के प्रस्ताव को हरियाणा पोल्ट्री फामर्स एसोसिएशन के माध्यम से पोल्ट्री मालिकों की सहमति के उपरांत डिजाइन किया गया है। यह परियोजना ग्रीन इंडस बायो-एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित की जायेगी जोकि मैसर्ज एमर्जेंट वेंचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंडस टैरा एनर्जी एवं हरियाणा पोल्ट्री फामर्स एसोसिएशन का एक सयुंक्त उद्यम है। उन्होंने बताया कि यह परियोजना आधुनिक अवायुजीव विषयक पाचक तकनीक पर आधारित है तथा इसे दो चरणों में क्रियान्वित किया जायेगा। इसके पहले चरण में नवम्बर, 2011 तक 1.4 मेगावॉट क्षमता का बिजली उत्पादन शुरू होगा। इसके बाद 4.2 मेगावॉट क्षमता का दूसरे चरण पहले चरण के समंजन एवं स्थिरीकरण के उपरांत जनवरी, 2012 तक शुरू होगा। इस बिजली के उत्पादन के लिए परियोजना को प्रतिदिन लगभग 500 मीट्रिक टन पोल्ट्री कूड़े की आवश्यकता होगी।उन्होंने बताया कि इस परियोजना से उत्पादित संपूर्ण बिजली को राज्य निगमों द्वारा खरीदा जायेगा, जिसके लिए हरियाणा बिजली विनियामक आयोग द्वारा 2015-16 तक तीन प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ वर्ष 2010-11 के लिए 6.06 रुपये का टैरिफ निर्धारित किया है और टैरिफ पर पांच वर्षांे के बाद परियोजना की आर्थिक व्यवस्था के आंकड़ों की जांच के उपरांत पुन: विचार किया जायेगा।