नई दिल्ली: केन्द्र सरकार अपनी केन्द्रीय योजना के तहत 2012 में छठी आर्थिक जनगणना के लिए विचार कर रही है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय जनवरी से जून 2012 की अवधि के दौरान सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकार के सहयोग से इस जनगणना के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू करेगी। केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री डॉ. एम एस गिल ने छठी आर्थिक जनगणना कराये जाने संबंधी कार्य योजना की समीक्षा की है।
इस जनगणना में देश भर की उद्यमशील इकाइयों से आवश्यक आंकड़े प्राप्त किये जा सकेंगे। इकाइयों की क्षेत्रवार गतिविधियों, श्रमिकों की संख्या, मालिक के सामाजिक समूह, महिला स्वामित्व वाले उद्यमों पर आधारित आंकड़े विविध आर्थिक गतिविधियों के संबंध में सूक्ष्म योजनाओं और नीतिगत निर्माण के लिए एकत्र किये जा सकेंगे। आर्थिक सुधार के बाद से सेवा क्षेत्र में हुए विकास की वजह से असंगठित क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है जिससे सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार सृजन में इसका योगदान महत्वपूर्ण है। आर्थिक उदारीकरण की वजह से हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है जिसका अध्ययन आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में तहसील गांव स्तर पर और शहरी क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर एकत्र किये गये आंकड़े 73वें और 74वें संविधान संशोधन के तहत स्थानीय स्तर पर योजना तैयार करने में सहायक होंगे। डॉ. एमएस गिल ने निर्देश दिया है कि मंत्रालय इस संबंध में सभी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए एक विस्तृत कार्य-योजना तैयार करे ताकि जनगणना बिना किसी रूकावट के प्रारंभ की जा सके। यह कार्य-योजना राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की सरकारों के लिए मार्गदर्शन का भी काम करेगी। आंकड़े एकत्र करने के लिए योग्य कर्मियों को शामिल करने और उचित प्रशिक्षण पर जोर दिया गया। जनगणना कर्मियों को लोग सही-सही जानकारी उपलब्ध करा सके इसलिए एक जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जायेगा।