मंडी: हिमाचल प्रदेश में 12 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले टीबी मुक्त हिमाचल अभियान के तहत मंडी जिले में एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत में मण्डी जिला की 80 प्रतिशत आबादी यानी 9 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। यह जानकारी डीसी मंडी अरिंदम चौधरी ने मंगलबार को सीएमओ कार्यालय में आयोजित डिस्ट्रिक्ट टीबी फोरम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होने बताया कि अभियान के तहत 12 सितंबर से दो अक्तूबर तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच करेंगी। टीबी के एक्टिव केस फाइंडिंग को सफल बनाने के लिए पूरे जिला में 1296 टीमों का गठन किया गया है। हर टीम में एक आशा वर्कर और एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता होगा।
डीसी ने बताया कि टीबी की जांच के दौरान अगर किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं, तो उसके थूक का नमूना लेकर उसे डीएमसी, ट्रूनाट या सीबीनाट लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा।
टीबी एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत टीमें मंडी जिले की 80ः जनता यानी 9 लाख लोंगो की स्क्रीनिंग कर इन 80 प्रतिशत जनता में से से दशलम्ब 5 प्रतिशत जनता के थूक के नमूने का जांच करने के लिए एकत्रित करने तथा दशलम्ब 5 प्रतिशत नमूनों में से कम से कम 2 प्रतिषत पॉजिटिविटी निकलने का लक्ष्य रखा गया है। अभियान का पूरा डाटा डब्ल्यूएच्ओ/एनएचएम द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर में अंकित करेंगे।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने देश को जहां 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं हिमाचल सरकार ने दिसंबर, 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा हैं। डीसी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से टीबी मुक्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों के सहयोग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन इस अभियान को सफल बनाने में पूरी मदद करेगा।
उन्होंने बताया कि टीबी के कीटाणु टीबी रोगी के खांसने, छींकने एवं थूकने के दौरान बलगम के छोटे-छोटे कणों से फैलता है और हवा द्वारा स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसे फैलने से रोकने के लिए इस अभियान का सफल होना आवश्यक है। बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा, सीएमओ देवेन्द्र कुमार शर्मा, जिला स्तर के अधिकारी, बीएमओ उपस्थित रहे।