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महासंघ के दो फाड होने से कर्मचारी की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है: वेद शर्मा

नाहन: हिमाचल प्रदेश में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के दो फाड से आम कर्मचारी की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है साथ ही कर्मचारियों की मांगे लम्बित पडी हुई है | महासंघ के लिए करीब आधा दर्जन नेताओं ने अपनी जानें तक गंवा दी, लेकिन दुर्भाग्य से महासंघ की यह स्थिति पहले कभी नहीं हुई। यह बात हिमाचल प्रदेश वरिष्ठ कर्मचारी नेता व महासंघ के पूर्व सलाहकार वेद शर्मा ने यहां जारी एक प्रेस बयान में कही। उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष पीसी भरमौरिया द्वारा महासंघ में कर्मचारी नेता गोपाल दास वर्मा की बतौर मुख्य सलाहकार नियुक्ति को उचित ठहराते हुए महासंघ के पूर्व अध्यक्ष व सेवानिवृत कर्मचारी गंगा सिंह ठाकुर की महासंघ मंे नियुक्ति को गलत ठहराया है। बयान में वरिष्ठ कर्मचारी नेता वेद शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रताडित कर्मचारी नेता गोपाल दास वर्मा को महासंघ में शामिल करना सराहनीय है, लेकिन सेवानिवृत कर्मचारियों को महासंघ में शामिल करना गलत है क्योंकि महासंघ के संविधान में सेवानिवृत कर्मचारियों को शामिल करने का प्रावधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि महासंघ को एक पहचान दिलवाने में गोपाल दास वर्मा की एक विशेष भूमिका रही है। यहां तक कि वर्मा को कर्मचारियों के हित के लिए निलम्बित भी रहना पडा है । उन्होंने कहा कि महासंघ में नेताओं की आपसी जंग से कर्मचारी संगठन की न केवल गरिमा गिर रही है बल्कि आम कर्मचारी नेताओं के हित भी पूरे नहीं हो रहे है। मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को कर्मचारियों का हितैषी बताते हुए वेद शर्मा ने कहा कि महासंघ की एकजुटता की स्थिति में मुख्यमंत्री कर्मचारियों से जुडी समस्याओं का निस्तारण काफी आसानी से किया जा सकता था क्योंकि मुख्यमंत्री ने बगैर ही कर्मचारियों की दर्जनो मांगों को पूरा किया है। उन्होनें पी सी भरमौरिया व सुरेन्द्र ठाकुर को एक मंच पर आने का आग्रह करते हुए कहा कि इस बारे वह अपना हर सम्भव सहयोग देने को तैयार है। वरिष्ठ कर्मचारी नेता वेद शर्मा ने कहा कि महासंघ के गठन से लेकर अब तक इस तरह की स्थिति पहले पैदा नहीं हुई लेकिन दुर्भाग्य से कर्मचारी नेताओं की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के कारण महासंघ दयनीय स्थिति में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि आधा दर्जन नेताओं ने महासंघ की मजबूती के लिए अपनी जानें तक गंवाई है। वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि आपसी गुटबाजी के कारण महासंघ सरकार पर भी एक अरसे से दबाव बनाने में नाकामयाब रहा है।