शिमला: महिलाओं एवं बच्चों की मानव तस्करी तथा व्यावसायिक यौन शोषण की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय योजना के तहत राज्यस्तरीय समन्वय समिति की बैठक आज यहां आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य सचिव श्रीमती आशा स्वरूप ने की।
बैठक में यह जानकारी प्रदान की गयी कि हालांकि हिमाचल प्रदेश में मानव तस्करी की समस्या गंभीर नहीं है, और पिछले 10 वर्षों में अनैतिक तस्करी (रोकथाम अधिनियम) के तहत 22 मामले दर्ज किए गए हैं। इन 22 मामलों मे से 19 मामले अभियोग के लिए भेजे गए हैं, जबकि 3 मामलों में जांच चल रही है।
मुख्य सचिव ने कहा कि पुलिस विभाग को राज्य में बाहर से आने वाले लोगों विशेषकर होटलों एवं विश्रामगृहों में रुकने वालों के दस्तावेज जांचने पर विशेष बल देना चाहिए, क्योंकि कई बार मासूम व्यक्ति पेशेवर अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में सोलन, शिमला और कुल्लू जिलों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि अभी तक सामने आए मामले इन जिलों से संबंधित हैं।
मुख्य सचिव ने मानव तस्करी के संबंध में जागरुकता उत्पन्न करने पर बल देते हुए कहा कि इस विषय में एक अध्ययन किया जाना चाहिए कि राज्य से अन्य राज्यों को भेजे जाने वाले मानव तस्करी के मामलों के कारण क्या हैं? उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को एक ऐसी हैल्पलाइन विकसित करने को कहा, जहां मानव तस्करी के शिकार बच्चे और महिलाएं आसानी से कहीं से भी सम्पर्क कर सकंे।
बैठक में यह जानकारी प्रदान की गयी कि शिमला तथा इसके आसपास के क्षेत्रांे में हैल्पलाइन नम्बर-1098 कार्यशील है, जो कि राज्य के अन्य जिलों में कार्यशील किया जाएगा।
घरेलू हिंसा के सम्बन्ध में बैठक में जानकारी प्रदान की गयी कि वर्तमान में मशोबरा में नारी सेवा सदन स्थापित किया गया है। राज्य में कुछ ऐसे स्थल चिन्हित किए जाने चाहिएं, जहां घरेलू हिंसा के पीड़ितों को कुछ समय के लिए रखा जा सके, जहां से बाद में उन्हें पुनर्वास के लिए उचित स्थान पर ले जाया जा सके।
बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि एच.आई.वी. पीड़ित व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए सामुदायिक देखभाल केन्द्र स्थापित किए जायें, ताकि एच.आई.वी. पीड़ित व्यक्ति समाज में अपने आपको उपेक्षित महसूस न करें। मुख्य सचिव ने इस संबंध में प्रस्ताव शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए। बैठक में इस बात पर भी बल दिया गया कि मानव तस्करी और व्यावसायिक यौन शोषण के पीड़ितों का आर्थिक पुनर्वास सुनिश्चित बनाया जाए।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती अंबिका सूद, राज्य समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती प्रेमलता ठाकुर, प्रधान सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता श्री प्रेम कुमार, प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री पी.सी. धीमान, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. नागेश वर्मा, अन्य वरिष्ठ अधिकारी और गै़र सरकारी सदस्य भी बैठक में उपस्थित थे।