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मुख्यमंत्री का सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं को लोक मित्र बनाने पर बल

शिमला: मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने सरकार व जनता के बीच महत्वपूर्ण सम्पर्क बनाए रखने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी को लोक मित्र बनाने पर बल दिया है। मुख्यमंत्री आज यहां हिमाचल प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विकास समिति (एसआईटीईजी) की आम सभा की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे।

प्रो. धूमल ने कहा कि आधुनिक तकनीक को आम आदमी के घर-द्वार पर धन व समय को बर्बाद किए बिना त्वरित सेवाएं प्रदान करने के लिए उपयोग में लाने की आवश्यकता है। किसी समाज की प्रगति के लिए वर्तमान परिपेक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय तकनीकी विकास को अपनाया जाना चाहिए। राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि लोगों को प्रभावी जी2सी सेवाएं प्रदान की जा सकें। प्रदेश में सुदृढ़ ई-गवर्नेंस नेटवर्क सृजित किया जा रहा है, जिसके लिए सभी सरकारी विभागों में अधोसंरचना सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं। इनके माध्यम से ई-गवर्नेंस आवेदन, सुरक्षित डाटा एकत्रीकरण एवं घर-द्वार पर ऑन लाईन सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। प्रदेश सरकार नौंवीं तथा दसवीं के सभी विद्यार्थियों की उपस्थिति की संभावनाओं का पता लगाएगी, ताकि बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने के लिए डाटा उपलब्ध हो सके। परीक्षार्थियों द्वारा अपना परीक्षा फार्म इलैक्ट्रॉनिक तरीके से प्रस्तुत करने तथा उनके परीक्षा रोल नम्बर भी ई-मेल करने में सहायता प्रदान करने प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्रमुख विभागों में ई-प्रापण एवं ई-निविदा को भी आरंभ किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश भर में प्रतियोगी एवं समान दरें, सरकारी प्रणाली में पारदर्शिता एवं समय एवं धन की बचत हुई है। ऑन लाइन कॉज़ लिस्ट, अंतरिम आदेश एवं फैसलों को डाउनलोड करने में राजस्व न्यायालय मामले अनुश्रवण प्रणाली लाभदायक हो रही है। इसी प्रकार नए मामलों के बारे में जानकारी, सूचनाएं, जवाब दायर करने एवं अंतरिम आदेश इत्यादि की निर्धारित तिथि के बारे में विभागों को मुकद्दमेबाजी अनुश्रवण प्रणाली भी सहायक सिद्ध हो रही है। इसके अतिरिक्त, 3 सितम्बर, 2011 को हिमाचल प्रदेश सचिवालय तथा निदेशालयों में आरंभ की गयी ई-डिस्पैच से पत्राचार में तेजी, लेखन सामग्री में कमी एवं प्रिंटर के उपयोग की लागत में कमी, डाक टिकटों की बचत, ऑन लाइन डाटा की उपलब्धता में सहायता मिली है। पंचायती राज विभाग में परिवार रजिस्टर, प्रमाणपत्र जारी करने के लिए जन्म पंजीकरण, मृत्यु पंजीकरण एवं विवाह पंजीकरण के स्वतः सृजन में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि हिमस्वॉं कार्यक्रम राज्य में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रीय स्तर के कार्यालयों को राज्य मुख्यालय से जोड़ा जाएगा। किन्नौर में हंगरंग एवं सांगला, स्पीति में काज़ा, शिमला में डोडरा-क्वार, पांगी घाटी तथा कांगड़ा में रैत इस परियोजना के अंतर्गत जोड़े गए 1220 क्षैतिज कार्यालयों में से हैं, जबकि 900 और शीघ्र जोड़े जाएंगे।

प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश में 3366 लोकमित्र केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि जी2सी सेवाएं उपलब्ध करवायी जा सकें। इनमें से, लगभग 2400 पहले ही आरंभ किए जा चुके हैं। इन केन्द्रों को बिजली, पानी एवं टेलीफोन के बिलों को लेने के लिए प्राधिकृत किया गया है। ये केन्द्र जमाबंदी, बस टिकट एवं ई-समाधान सेवाएं भी उपलब्ध करवा रहे हैं। बिजली के बिलों का एकत्रीकरण अक्तूबर, 2010 में 65 हजार रुपये से बढ़कर अगस्त, 2011 में 2.40 करोड़ रुपये हो गया है। जनवरी, 2011 में जारी की गयी मात्र 8 जमाबंदियों के मुकाबले सितम्बर माह के मध्य तक 8600 जमाबंदियां जारी की गयीं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ‘यूनीक आईडी’ (आधार) कार्डों को तैयार करने में तेजी लाकर इस कार्य को निर्धारित लक्ष्य में पूरा करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एग्रीसनेट परियोजना भी आरंभ की गयी है, ताकि कृषि, बागवानी, पशुपालन एवं मत्स्य विभागों की सेवाओं के लिए सरकार का लोगों के साथ संवाद स्थापित किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए कारागारों में वीडियों कांफै्रंसिंग के उपयोग की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को सरकार तथा लोगों के बीच संचार की दूरी को कम करने के लिए एसएमएस गेटवे सेवाओं का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव श्रीमती राजवंत संधू ने कहा कि राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि स्वचलित तथा विश्लेषणात्मक डाटा की उपलब्धता से राज्य के नीति निर्धारण एवं विकास योजनाओं में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में प्रदेश के लोगों को और अधिक सेवाएं उपलब्ध करवायी जाएंगी।

प्रधान सचिव वित्त एवं सूचना प्रौद्योगिकी डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आईटी ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है, जिसके माध्यम से लोगों को अधिक से अधिक सेवाएं सुनिश्चित बनाई जा रही हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक श्री रजनीश ने प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आरंभ की गयी विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया तथा कहा कि इनके माध्यम से दक्षता, पारदर्शिता एवं सभी आवश्यक सेवाएं लोगों को उपलब्ध हो रही हैं।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा जे.पी. सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी इस अवसर पर अपने अनुभव सांझा किए।

प्रधान सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता श्री एस.के. दाश, प्रधान सचिव परिवहन श्री टी.जी. नेगी, प्रधान सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति श्री प्रेम कुमार, प्रधान सचिव राजस्व डॉ. दीपक सानन, प्रधान सचिव वानिकी श्री वी.सी. फारका, प्रधान सचिव गृह श्री पी.सी. धीमान प्रधान सचिव पर्यटन एवं कार्मिक श्रीमती मनीषा नंदा, प्रधान सचिव पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास श्री एसकेबीएस नेगी, हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के अध्यक्ष श्री आर.डी. धीमान, प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री ए.आर. रिज़वी, उद्योग विभाग के निदेशक श्री जे.एस. राणा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

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