नाहन: प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग में ऐसे भी हैं अध्यापक जो ऐसे नोबल कार्य कर जाते हैं जो दूसरों के लिए नजीर बन जाते हैं… राजकीय प्राथमिक पाठशाला मोगिनंद यहां लोग निजी स्कूलों में नहीं बल्कि सरकारी स्कूल में भेजना पसंद करते हैं अपने बच्चे को क्योंकि यहाँ बच्चों को हर प्रकार की सुविधाएं मिलने के साथ अध्यापकों का सहयोग पढाई के लिए भी पूरा मिलता है! विशेष बात इस स्कूल के अध्यापकों की देखने को यह आई है कि ये स्कूल के भवन के निर्माण के लिए अपने वेतन से धनराशि लगाकर इस के कमरे तैयार करा रहे हैं जो एक अनोखी मिसाल कही जा सकती है|
स्कूल के मुख्य अध्यापक राज कुमार ने बताया कि स्कूल की मुरम्मत के लिए सरकार द्वारा 3 लाख 32 हजार रुपये स्वीकृत किए गए थे मगर जब इस की दीवारों को तोडा गया तो वे मिट्टी से बनाई हुई पाई गई! उन्होंने बताया कि जब इस भवन को बनाने का एस्टीमेट बनवाया गया तो वह बहुत ज्यादा आया जिस के बाद सभी अध्यापकों ने निर्णय लिया कि वे अपने वेतन से धनराशि कटवा कर धन एकत्रित करेंगे जिस के बाद सभी ने ऐसा ही किया! अब स्कूल में जो कमरे बनाए गए है वे पहले से बडे भी है हवादार हैं ताकि स्कूल खुलने के बाद बच्चे सोशल डिस्टैस के अनुसार बैठ सकें! उन्होंने कहा कि अभी तो कोरोना के कारण स्कूल बन्द पडे हैं इस लिए के नए कमरों के बनने में किसी भी परेशानी का सामना नही करना पड़ा और अब स्कूल के खुलने के बाद किसी भी परेशानी का सामना नही होगा! अध्यापकों के इस कार्य की क्षेत्र में काफी प्रशंसा हो रही है और लोगों का मानना है कि वास्तव में ऐसे अध्यापक होते हैं सम्मान के अधिकारी जो सभी ओर अपना ध्यान देते हैं