रणजीत व सुरजीत के लिये पॉलिहाउस बना वरदान

ज्वालामुखी: हिम्मते बंदा मददे खुदा नामक कहावत दो भाईयों रणजीत एंव सुरजीत पर खरी उतरती है जिन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी से पालमपुर के समीप गांव राख बल्ला की एक वीरान स्थली में पॉलीहाउस स्थापित कर किसानों के लिये एक प्रेरणादायक मिसाल कायम की है । दोनों भाई मूलत: मंडी जिला के सरकाघाट के निवासी हैं और एक मध्यम परिवार से सम्बन्ध रखते हैं जिसमें रणजीत सिंह निजी क्षेत्र में पालमपुर स्थित टी—एस्टेट में सेवारत हैं उन्होंने अपने भाई सुरजीत को स्वावलम्बी बनाने के लिये सरकाघाट में फर्नीचर व वैल्डिंग की दुकान खुलवाई परन्तु उन्हें इस कार्य में इच्छानुसार सफलता नहीं मिल पाई ।

रणजीत अपने भाई के बेरोजगार होने पर काफी चिंतित था उन्होंने चिंतन किया कि सरकाघाट क्षेत्र में फूलों की काफी खेती की जाती है और क्यों न पालमपुर में भी फूलों की खेती की जाये जिसके लिये रणजीत सिंह ने अपनी कमाई से पालमपुर के समीप गांव राख बल्ला की वीरान बस्ती में भूमि क्रय की और पॉलीहाउस स्थापित करने हेतु कृषि विभाग कार्यालय में सम्पर्क स्थापित किया तथा विभाग के अधिकारियों ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पॉलीहाउस स्थापित करने हेतु सलाह दी जिसमें सरकार द्वारा 50 प्रतिशत सबसिडी प्रदान की जाती है । विभाग द्वारा रणजीत को पूना में पॉलीहाउस का पांच दिन का प्रशिक्षण दिया गया और अगस्त, 2008 में दोनों भाईयों ने 800 वर्ग मीटर क्षेत्र में पॉलीहाउस स्थापित किया गया जिस पर सरकार द्वारा 2.60 लाख रूपये का उपदान दिया गया । पॉलीहाउस को वैज्ञानिक तकनीक से तैयार किया गया जिसमें तापमान को आवश्यकतानुसार बनाये रखने पर सिंचाई सुविधा के लिये सभी प्रबन्ध किये गये हैं पॉलीहाउस के साथ एक पानी का टैंक तथा खाद व दवायें मिलाने का संयत्र स्थापित किया गया है ।

इस पॉलीहाउस में दोनों भाईयों ने मिल कर कारनेशन फूलों की खेती की गई । रणजीत के अनुसार पहली फसल के दौरान इन्हें लगभग 2.50 लाख रूपये की आय हुई जिससे इन्होंने बैंक की किश्त मजदूरी इत्यादि अदा करके एक और नया पॉलीहाउस स्थापित करने की योजना बनाई । रणजीत ने जानकारी दी कि पॉलीहाउस की उत्पादन क्षमता खुले में खेती अपेक्षा कई गुणा अधिक है । उन्होंने कहा कि जिस वीरान जगह पर पॉलीहाउस स्थापित किया है यहां पर खुले में खेती करने से बीज का मुल्य भी नहीं निकल सकता था । रणजीत ने तकनीकी बागवानी मिश्र के अन्र्तगत उसी स्थान पर 850 वर्ग मीटर में एक और पॉलीहाउस स्थापित किया गया जिस पर सरकार ने इन्हें 2.70 लाख रूपये की सबसिडी प्रदान की जिसमें भी कारनेशन के फूल ही लगाये गये हैं ।

रणजीत ने जानकारी दी कि वह फूलों को दिल्ली, लुधियाणा, चण्डीगढ़ इत्यादि मंडियों में भेजते हैं जहां पर फूल की प्रति कली पांच से सात रूपये बिकती है । उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बस के माध्यम से फूलों को भेजने पर 40 प्रतिशत किराये में छूट दी जाती है इसके अतिरिक्त पॉलीहाउस में कार्य कर रहे चार मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो रहा है ।

दोनों भाईयों का कहना है कि वह सरकार कि इस योजना से उन्हें काफी लाभ पहुंचा है उन्होंने कहा कि किसानों को पारंपरिक फसलों एंव खुले में खेती की अपेक्षा पॉलीहाउस संस्कृति को अपनाना चाहिये जिसमें केवल एक बार निवेश की आवश्यकता होती है उसके उपरांत कम मेहनत में अधिक लाभ प्राप्त होता है । उनका कहना है कि अब सरकार पॉलीहाउस स्थापित करने पर 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है जिसमें किसानों को बैंक से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं है जबकि उन्होंने 50 प्रतिशत अनुदान व बैंक से ऋण लेकर पॉलीहाउस स्थापित किये थे जोकि आय का एक स्थायी साधन बन चुका है । उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य में किसी कार्य करने की दृढ इच्छा व लगन हो तो उसके लिये कोई भी कार्य असम्भव नहीं है और विशेषकर बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी के पीछे न भाग कर अपना पॉलीहाउस स्थापित करें जिसके माध्यम से वह अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं ।