शिमला: हिमाचल प्रदेश में सिंथेटिक ड्रग्स (चिट्टा) के बढ़ते प्रकोप के खिलाफ अब सामाजिक संगठनों ने भी कमर कस ली है। रविवार को शिमला में गैर-सरकारी संगठनों के समूह ‘संजीवनी’ द्वारा ‘वार ऑन ड्रग्स: चिट्टे पर चोट’ विषय पर एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया। अपने संबोधन में राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि नशे के खिलाफ लड़ाई में पुलिस की सख्ती जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही पीड़ितों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाना भी उतना ही आवश्यक है।

राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि ‘चिट्टे पर चोट’ केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक संकल्प है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विदेशी एजेंसियों द्वारा संचालित नशे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए समाज का सामूहिक प्रयास अनिवार्य है। इस दिशा में गैर-सरकारी संगठनों और धार्मिक संस्थाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। राज्यपाल ने विशेष रूप से हिमाचल विधानसभा में नशे के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष द्वारा दिखाई गई एकजुटता की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसी सामूहिक राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही देवभूमि को इस संकट से बचाया जा सकता है।
राज्यपाल ने अभिभावकों को भी सचेत करते हुए कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत घर से होती है। माता-पिता को अपने बच्चों के व्यवहार और उनकी दिनचर्या पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू हुए नशा मुक्त अभियान को प्रदेश में भारी जनसमर्थन मिल रहा है। यदि पुलिस, प्रशासन, पंचायतें और शिक्षण संस्थान एकजुट होकर कार्य करें, तो हिमाचल को नशा मुक्त बनाना संभव है।
कार्यक्रम के दौरान ‘संजीवनी’ समूह के अध्यक्ष महेंद्र धर्माणी ने बताया कि 25 सितंबर 2025 को गठित यह संगठन सात जिलों के 17 एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रहा है और विशेषज्ञों के सुझावों को गांव-गांव तक पहुंचाएगा।
इस अवसर पर संजीवनी के सचिव नरेश शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कार्यशाला में बतौर विशेषज्ञ और विशिष्ट अतिथि संजीवनी के सलाहकार जोगिंदर कंवर, उपाध्यक्ष नितिन व्यास, उपाध्यक्ष डॉ. जोगिंदर सकलानी, डीआईजी पुलिस दिग्विजय नेगी, वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष वर्मा, ओ.पी. शर्मा और डॉ. निधि शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।