राज्य स्तरीय वन महोत्सव मनाया गया

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देहरा गोपीपुर: प्रदेश सरकार द्वारा इस वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न वनीकरण गतिविधियों पर 123 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आज तताहन गांव में टर्मिनेलिया बेलिरिका (बहेड़ा) के पौधारोपण के पश्चात कांगड़ा जिले के देहरा क्षेत्र के बनखंडी में 61वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव के अवसर पर दी। इस अवसर पर सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र सिंह रवि, उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री श्री रमेश धवाला तथा क्षेत्र के अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री के साथ पौधारोपण किया।

मुख्यमंत्री ने लोगों से वनीकरण कार्यक्रम को जन आंदोलन बनाने का आग्रह किया तथा लोगों को पर्यावरण बदलाव एवं वैश्विक उष्मीकरण के दुष्प्रभावों, जो सभी प्राणियों के लिए गंभीर खतरा है, के प्रति सचेत किया। उन्होंने कहा कि राज्य में ‘सांझा वन-संजीवनी वन’, ‘अपना वन-अपना धन’, ‘पीपल बरगद’ इत्यादि पौधारोपण अभियान आरंभ किए गए हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे इन अभियानों में शामिल होकर क्षेत्र में वनीकरण गतिविधियों को बढ़ावा दें।

प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने ‘पंडित दीनदयाल किसान-बागवान समृद्धि योजना’ आरंभ की है, जिससे किसानों की आर्थिक गतिविधियों में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पतंजलि योगपीठ के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है, जिसके अंतर्गत पतंजलि योगपीठ आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण के लिए राज्य से समुचित जड़ी-बूटियों की खरीद करने के लिए सहमत हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में 365 करोड़ रुपये के मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है, जिससे राज्य के 10 जिलों के 10 विकास खंडों की 602 ग्राम पंचायतों के लोग लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रदर्शन को विश्वबैंक द्वारा भी सराहा गया है। उन्होंने कहा कि ‘खैर कटान पर प्रतिबंध को भी हटाया गया है’।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य प्राणी विहार के युक्तिकरण से 1.12 लाख की जनसंख्या लाभान्वित होगी, जबकि 17 वन्य प्राणी विहारों में से 767 गांवों अलग किया जाएगा, जिससे न केवल स्थानीय लोग लाभान्वित होंगे, बल्कि 1017 वर्ग कि.मी. का वन क्षेत्र राज्य के संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के अंतर्गत लाया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार बंदरांे के उत्पात को रोकने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि बंदर बन्ध्यकरण केन्द्र शिमला के टूटीकंडी, सस्त्र तथा गोपालपुर में आरंभ किए गए हैं, जहां 17 हजार से अधिक बंदरों की नसबंदी की गयी है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इसी तरह के केन्द्र ऊना जिले में भी स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा इको-पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि पर्यावरण प्रेमी राज्य के प्राकृतिक सौदर्य का आनन्द उठा सकें। उन्होंने कहा कि इको पर्यटन से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आय में वृद्धि होगी, जबकि इससे पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे वनों की रक्षा करें तथा खाली पड़ी भूमि पर ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करें, जिससे इनका उपयोग स्थानीय उद्देश्यों के लिए किया जा सके।

प्रो. धूमल ने कहा कि कांगड़ा जिले में राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थान आरंभ किए गए हैं जिनमें केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, सीआरपीएफ बटालियन, पॉलीटैक्नीक इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देहरा में केन्द्रीय विश्वविद्यालय का बड़ा परिसर विकसित किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में विकास एवं आर्थिक गतिविधियों को नयी दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के समान एवं संतुलित विकास के प्रति कृतसंकल्प है तथा प्रत्येक क्षेत्र को उदार वित्तीय सहायता एवं विकास परियोजनाएं उपलब्ध करवायी जा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने आज विजय दिवस पर कारगिल आपरेशन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा कहा कि कारगिल के योद्धाओं द्वारा दिए गए सवोच्च बलिदान समूचा राष्ट्र एवं भावी पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेंगे। उन्होंने कहा कि स्वतन्त्रता के पश्चात् वर्ष 1962, 1965 तथा 1971 के युद्धों के कारण राष्ट्र अनेक कठिनाइयों से गुज़रा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1971 में पहली बार लगभ 93 हजार सैनिकों को बंगला देश में युद्ध बंदी बनाया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में कारगिल की चोटियों से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए कारगिल आपरेशन आरंभ किया गया था, जिसे भारतीय सैनिकों ने सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने कहा कि वे जुलाई 1999 में व्यक्तिगत तौर पर कारगिल गए, ताकि सैनिकों का मनोबल बढ़ाया जा सके, जो राष्ट्र के लिए लड़ रहे थे।

प्रो. धूमल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने कारगिल आपरेशन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया तथा प्रदेश के 52 युवाओं ने इस आपरेशन में राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर राज्य के प्रत्येक शहीद के परिवार से मिले तथा उनके दुःख में शामिल हुए। इस दौरान कारगिल में आपरेशन विजय के शहीदों के सम्मान में 2 मिनट का मौन रखा गया।