कांगड़ा: वर्तमान में कोरोना के चलते देश भर में लोग अपने घरों में बैठने को मजबूर हैं। इस महामारी ने, न केवल रोज़गार के अवसर कम किए हैं बल्कि बेरोज़गारी को बढ़ावा दिया है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार के बागवानी विभाग द्वारा कार्यान्वित हिमाचल प्रदेश उपोषण कटिबंधीय बाग़वानी, सिंचाई एवं मूल्यवर्धन परियोजना, बाग़वानी से जुड़े लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। यह परियोजना एडीबी द्वारा वित्तपोषित है।
इस महत्वकांक्षी परियोजना की बागडोर स्वयं बागवानी मंत्री महिन्द्र सिंह ने संभाली है। परियोजना का प्रारूप राज्य में बाग़वानी के सर्वांगीण विकास तथा ग्रामीण युवा शक्ति को बाग़वानी के क्षेत्र में रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसके तहत ज़िला कांगड़ा के जिन सात विकास खंडों बैजनाथ, भवारना, सुलह, पंचरूखी, लम्बागांव, देहरा तथा पालमपुर का चयन किया गया है, लाभान्वित होंगे।
परियोजना में शामिल मुख्य गतिविधियां
बाग़वानी विकास समूह एवं जल उपयोगकर्ता संघ का गठन, सामूहिक कलस्टरों को चिन्हित कर, उनमें जंगली जानवरों एवं बंदरों से उजाड़ के रख-रखाव हेतू मिश्रित बाड़बंदी, सघन बाग़वानी हेतु बग़ीचों की रूपरेखा, सर्वोत्तम फल क़िस्म का चयन तथा रोपण, सुनिश्चित सिंचाई हेतु परियोजना तैयार करना एवं उद्यान स्तरीय जल भंडारण टैंक तथा टपक सिंचाई की व्यवस्था, खरपतवार रोकथाम हेतु मल्च शीट लगाना, फसल सस्योत्तर ढांचा मजबूत करना तथा बाज़ार आधारभूत संरचना की स्थापना करना है।
उप निदेशक, उद्यान कमलशील नेगी बताते हैं कि जिन समूहों का चुनाव इन सात विकास खंडों में किया गया है, उसके लाभार्थियों को इस परियोजना में बढ़-चढ़ कर भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वे कहते हैं कि जनमानस में यह संशय नहीं रहना चाहिए की कलस्टर की ज़मीन सरकार ले लेगी। ज़मीनों के मालिक लाभार्थी ही रहेंगे; अपितु विभाग उन स्वामीत्व ज़मीनो, जिनका लाभ जंगली जानवरों के उजाड़ तथा पानी की व्यवस्था के अभाव में उनके मालिक नहीं ले पा रहे थे, उसमें उद्यान विभाग की इस परियोजना से स्वरोज़गार तथा आर्थिक उन्नति के द्वार खुल जाएंगे।
परियोजना के तहत भूस्वामियों या लाभार्थियों को एक निश्चित फल फ़सल लगा कर दी जाएगी; जिसकी आयु कम से कम 35-40 वर्ष तक होगी। इससे किसानों को वर्ष भर बीज खाद, फसल कटाई, फ़सल खराब होने, मौसम की मार जैसी विषमताओं का सामना नहीं करना पडे़गा।
इस परियोजना के तहत एक कनाल भूमि में 60-80 पौधे लगेंगे, जो दूसरे वर्ष से फल देना आंरभ कर देंगे। इससे किसानों को 50-60 हजार रुपये सालाना लाभ प्राप्त हो सकेगा।
लाभ के अवसर अधिक होने के कारण यह परियोजना नौजवान पीढ़ी के लिए बेहतरीन विकल्प उपलब्ध करवाएगी। कमल शील ने चयनित कलस्टर के ग्राम प्रधान, वार्ड पंच तथा ज़िला परिषद् के सदस्यों से इस परियोजना में सक्रिय योगदान देने की अपील की है। इससे वर्तमान पीढ़ी को घर बैठे रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे तथा आने वाली नस्लों के लिए पर्यावरण को सहेजने में मदद मिलेगी।