धर्मशाला: प्रदेश में वर्षाजल संग्रहण के लिये शीघ्र ही मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत प्रदेश के सभी 52 सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मण्डल के अन्तर्गत 208 वर्षा जल संग्रहण ढांचा सृजित किये जाएंगे ताकि वर्षा जल को पूर्ण रूप से उपयोग में लाया जा सके।
यह जानकारी सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र सिंह रवि ने आज यहां मिनी सचिवालय में देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार वर्षाजल के संग्रहण पर विशेष बल दिया जा रहा है, क्योंकि घटते जल स्तर को पुनः रिचार्ज करने के लिये जल संरक्षण करना समय की आवश्यकता बन गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी विधायकों से आग्रह किया गया है कि वह अपने प्राथमिकताओं में वर्षा जल संग्रहण के लिये टैंक, चैकडैम, तालाब इत्यादि के निर्माण को शामिल किया जाए।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्षा जल संग्रहण में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्था अथवा व्यक्ति के लिये पुरस्कार का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्रथम पुरस्कार के रूप में एक लाख रूपये, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 50 हजार रूपये की राशि छः पुरस्कार में तथा 25 हजार रूपये के 12 पुरस्कार तृतीय स्थान पर रहने वाले व्यक्ति व संस्था को प्रदान किया जाएगा। ताकि इस कार्यक्रम को बढ़ावा मिल सके तथा अन्य लोग भी इससे प्रेरणा ले सकें। उन्होंने बताया कि यह प्रसन्नता का विषय है कि हमीरपुर जिला की छः बरसाती खड्डों में वर्षाजल संग्रहण के लिये किये गये विभिन्न संसाधनों के फलस्वरूप भूमिगत जल स्तर में लगभग अढ़ाई फुट से लगभग चार फुट तक की वृद्धि हुई है।
श्री रविन्द्र रवि ने बताया कि प्रदेश के पेयजल समस्या ग्रस्त 12 विकास खण्डों में वर्षाजल संग्रहण हेतू ढांचागत निर्माण के लिये 6 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई थी, जबकि 6 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि शीघ्र ही स्वीकृत की जाएगी ताकि एकत्रित वर्षा जल का उपयोग लोग सिंचाई के अतिरिक्त अन्य गैर पेय कार्याे में इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने जानकारी दी कि ऊना जिला के बीत क्षेत्र के लिये वर्षा जल संग्रहण इत्यादि कार्यों के लिये नाबार्ड द्वारा 13 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई है।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री ने आज मिनी सचिवालय में लोगांे की समस्याएं सुनीं और उनका मौके पर ही अधिकांश का निपटारा कर दिया गया।