वाता नदी के तटीयकरण पर 34 करोड व्यय होंगे: रवि

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ज्वालामुखी: सिंचाई एंव जन स्वास्थ्य मंत्री, श्री रविन्द्र सिंह रवि ने आज बताया कि प्रदेश के सिरमौर जिला की वाता नदी के तटीयकरण पर 34 करोड रूपये से अधिक राशि व्यय की जायेगी जिसके लिये प्रथम चरण में केन्द्र सरकार द्वारा 8 करोड की राशि स्वीकृत कर ली गई है तथा इस कार्य में 90 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार तथा 10 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा ।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बहने वाले विभिन्न नदी नालों के तटीयकरण हेतु राज्य सरकार द्वारा बाढ नियंत्रण प्रबन्धन कार्यक्रम प्रभावी ढंग से कार्यन्वित किया जायेगा ताकि राज्य में बाढ के कारण होने वाले नुक्सान को बचाया जा सके । उन्होंने जानकारी दी कि यह प्रदेश का पहला ऐसा महत्वपूर्ण कार्यक्रम आरंभ किया जा रहा है जिसका कार्यन्वयन 90ः10 के अनुपात में किया जायेगा ।

श्री रवि ने कहा कि ऊना जिला में बहने वाली स्वां नदी के तटीयकरण के दूसरे चरण में 24 करोड 30 लाख की राशि व्यय की जा रही है तथा इस नदी में तटीयकरण का कार्य प्रगति पर है । उन्होंने कहा कि स्वां नदी में हर वर्श बरसात में बाढ आने के कारण किसानों की फसलों की लाखों रूपये की क्षति पंहुचती थी ।

श्री रविन्द्र रवि ने कहा कि प्रदेश की सबसे बडी एंव महत्वकांक्षी शाहनहर परियोजना का निर्माण कार्य 2011 में पूर्ण कर लिया जायेगा जिसके निर्मित होने से कांगडा जिला के व्यास नदी के दोनों और स्थित 93 गांवों की 15287 हैक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी ।

उन्होंने जानकारी दी कि इस महत्वकांक्षी परियोजना के निर्माण पर अब तक 266 करोड की राशि व्यय की जा चुकी है तथा चालू वित्त वर्श में 41.81 करोड की राशि व्यय की जायेगी । उन्होंने जानकारी दी कि इस परियोजना का कार्य एआईबीपी कार्यक्रम के तहत किया जायेगा जिसमें 90 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार तथा 10 प्रतिशत हिस्सा हिमाचल प्रदेश एंव पंजाब द्वारा क्रमश्: 61.74 प्रतिशत एंव 38.26 प्रतिशत हिस्सा वहन किया जायेगा ।

सिंचाई एंव जन स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि कांगडा जिला के ज्वाली में 66.35 करोड रूपये से निर्मित की जाने वाली सिद्वाता मध्यम सिंचाई परियोजना का कार्य भी 2011 में पूर्ण कर लिया जायेगा जिसके निर्मित होने से 3150 हैक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी ।

उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्यावरण असंतुलित होने लगा है जिससे निकट भविश्य में प्रदेश में जल की भारी कमी होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण हेतु सभी लोगों को आगे आना होगा तथा वानिकी कार्यक्रम के साथ-साथ जल संरक्षण हेतु विशेष पग उठाने होंगे विषेशकर वर्षा जल के संग्रहण हेतु लोगों को अपने घरों में भी भण्डारण टैंक निर्मित करने होंगे जबकि सरकार द्वारा इस दिशा में भरसक प्रयास किये जा रहे हैं नदी नालों खड्डों इत्यादि पर जल संरक्षण हेतु चैक डैम इत्यादि स्थापित किये जा रहे हैं तथा बडे पैमाने पर निजी भूमि पर पौधरोपण एंव वर्षा जल संग्रहण के लिये टैंक निर्माण हेतु लोगों को उपदान प्रदान किया जा रहा है ।