विकासात्मक पत्रकारिता अवार्ड फिर शुरू करे हिमाचल सरकार: पत्रकार संघ

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By Hills Post

मंडी: हिमाचल प्रदेश यूनियन आफ जनर्लिस्ट ने सरकार द्वारा पिछले कई सालों से विकासात्मक पत्रकारिता के लिए दिए जाने वाले अवार्ड व पुरस्कार बंद करने पर रोष प्रकट करते हुए इसे तुरंत बहाल करने की मांग उठाई है। यूनियन के मुख्य संरक्षक रमेश बंटा, प्रदेशाध्यक्ष बीरबल शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलबीर ठाकुर, उपाध्यक्ष राकेश कथूरिया, संगठन महासचिव कुलदीप चंदेल, महासचिव सुरेंद्र शर्मा, राष्ट्रीय सचिव योग राज भाटिया, केंद्रीय परिषद सदस्य एवं कोषाध्यक्ष अदीप सोनी, सलाहकार बलबिंद सोढ़ी तथा समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में उनका ध्यान इस ओर दिलाया कि पिछले कई सालों से सरकार इन पुरस्कारों जो दशकों से हर साल दिए जाते रहे हैं को नहीं दे रही है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने 12 जुलाइ 2016 को एक अधिसूचना जारी कर पहले से चले आ रहे इन विकासात्मक पत्रकारितों पुरस्कारों को विस्तार देते हुए इसमें इलैक्ट्रोनिक मीडिया को भी जोड़ा था। सरकार पिछले कई दशकों से हर साल प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत पत्रकारों से हिमाचल के विकास को लेकर लिखे गए लेखों पर आधारित प्रविष्ठियां आमंत्रित करती है। इसमें एक पुरस्कार राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख रूपए का दिया जाता है जबकि तीन पुरस्कार राज्य स्तर पर प्रथम द्वितीय व तृतीय 75 हजार, 40 हजार व 30 हजार रूपए के दिए जाते हैं। इसी तरह से जिला स्तर के लिए तीन पिंट मीडिया व तीन लैक्ट्रोनिक मीडिया के लिए 50 हजार, 30 हजार व 20 हजार रूपए के दिए जाते हैं। कुछ साल पहले तक यह प्रविष्ठियां लोक संपर्क विभाग के माध्यम से आमंत्रित की जाती रही हैं मगर पिछले कई सालों से यह पुरस्कार बंद हैं। इस समय प्रदेश भर में सैंकड़ों पत्रकार सरकार की योजनाओं से आने वाले सामजिक बदलाव व लाभार्थियों के जीवन में आए आर्थिक परिवर्तन को जन जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं मगर पुरस्कार जो एक तरह से उनके काम का मूल्यांकन हुआ करता था के बंद हो जाने से यह प्रोत्साहन अब नहीं मिल रहा है।

सरकार बकायदा आमंत्रित प्रविष्ठियों का एक विशेषज्ञ कमेटी से मूल्यांकन करवाती है और फिर चयन करके यह पुरस्कार दिए जाते हैं। यूनियन ने सरकार से आग्रह किया है कि बंद पुरस्कारों को तुरंत बहाल किया जाए ताकि सरकार जो मीडिया फ्रंेडली होने का दम भरती है वह धरातल पर भी नजर आए। यह भी मांग की गई है कि जितने सालों से यह पुरस्कार लंबित हैं सभी वर्षों की प्रविष्ठियां आमंत्रित करके इन पुरस्कारों को दिया जाए।

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