ज्वालामुखी: भारतीय जनता पार्टी की ओर से अध्यक्ष पद का चुनाव लड रही मनीषा शर्मा ने आज यहां बताया कि वह चुनावी मैदान में झूठे वायदे व दुष्प्रचार के बजाये अपने कार्यकाल के दौरान कराये गये विकास के आधार पर जनता से वोट मांग रही हैं। मनीषा इस समय नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं व उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का करीबी माना जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद ज्वालामुखी के विकास के लिये सरकार से धन लाने में कामयाबी मिली उसी की बदौलत आज ज्वालामुखी की तस्वीर बदली है। मनीषा ने बताया कि उनके कार्यकाल में हर काम के क्रियान्यवन में पूरी पारदर्शिता बरती गई। जिससे भ्रष्टïाचार को भी अंकुश लगा। जब नगर पंचायत में सत्ता परिवर्तन हुआ था ।
ज्वालामुखी नगर पंचायत में भाजपा विचारधारा से एकमात्र पार्षद मनीषा थी वह ही अब अध्यक्ष बन गई । जबकि कांग्रेसी विचारधारा से छह पार्षद थे । प्रदेश में सत्ता बदलते ही सब कुछ बदल गया और पंचायत में भाजपा अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही । यह सब कांग्रेसियों की आपसी गुटबाजी का ही परिणाम था । ज्वालामुखी में कांग्रेस कई खेमों में बंटी है , एक गुट संजय रतन के साथ ताल ठोंक रहा है तो दूसरा नरदेव कंवर के साथ । कांगेसी एक दूसरे को मात देने में सक्रिय हैं । भाजपा शासनकाल में नगर के विकास के मामले में खासा फायदा हुआ था । कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनायें मिलीं, जो आज भी चल रही हैं । लेकिन नगर पंचायत की माली हालत आज भी दुरूस्त नहीं हो पा रही हैं । करीब बारह टोल गार्ड बोझ बने है और बिना काम के वेतन ले रहे हैं । सरकार ने गृह कर वसूली न हो पाने की वजह से ग्रांट रोक दी है ।
गृह कर वसूली नगर पंचायत के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रही है। एक ओर जहां लोग गृह कर का विरोध कर रहे हैं वहीं राज्य सरकार उलट वसूली न हो पाने की वजह से ग्रंाट इन एड रोक दी है। जिससे नगर पंचायत मुपलिसी के कगार पर पहूंच चूकी है। राज्य सरकार ने सीधे तौर पर उन नगर पंचायतों को अनुदान देने के लिये मना कर दिया है जो वसूली नहीं कर पा रही हैं। ज्वालामुखी में वसूली राजनीति के भंवर में धंस कर रह गई हैं। चूंकि लोग नहीं चाहते कि यहां गृह कर लगे । लोगों के दबाब के चलते नगर षार्षद भी इस मामले में कोई साहस नहीं जुटा पाये । नगर पंचायत को कार पार्किंग,बस अडडाव दुकानों से करीब पौने तीन लाख आमदन हो रही है। जबकि नगर पंचायत का बेतन बिल ही तीन लाख रूपये है, यहां 62 कर्मचारी तेनात हैं। हांलाकि नगर कुछ विकास कार्य चल रहे हैं। जिनके चलते नगर पंचायत ठेकेदारों का का भुगतान नहीं कर पा रही है। वहीं स्टृीट लाइट बिल विद्युत बोर्ड का देना है । इन्हीं देनदारयों के चलते नगर पंचायत की हालात बद से बदतर होती जा रही है।