शिमला: हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद जैसे ऊनी शॉल, मफलर, स्टोल, टोपी, ज्वैलरी, गलीचे, कांगड़ा चित्रकला, चम्बा रुमाल, चम्बा चप्पल, पूलें, जैकेट इत्यादि विश्व भर के उपभोक्ताओं में लोकप्रिय हो रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा हस्तशिल्प एवं हथकरघा वस्तुओं को ऑनलाइन करने से यह सम्भव हो पाया है। www.himcrafts.com नामक वेबसाइट पर महिलाओं और पुरूषों के लिए हथकरघा उत्पादों के अनेक प्रकार के रंग, डिज़ाइन व साइज़ उपलब्ध हैं। अब खरीददार जब चाहें अपने मनपसंद उत्पाद का ऑर्डर वैबसाइट पर देकर घर बैठे पा सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पाद कॉरपोरेशन ने राज्य में हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों के विक्रय में वृद्धि लाने के उद्देश्य से ई-शॉपिंग सुविधा आरम्भ की है। इस सुविधा से जहां खरीददार अपनी मनपसंद हस्तशिल्प एवं हथकरघा वस्तुओं का चयन कर ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं, वहीं खरीदी गई वस्तुओं का आसानी से ऑनलाइन भुगतान भी कर सकते हैं। भुगतान करने के तीन सप्ताह के भीतर खरीददारों को ऑर्डर किए गए उत्पाद प्राप्त हो सकेंगे। वेबसाइट का ‘पेमेंट गेटवे’ ऑनलाइन भुगतान करने के अलावा नकली ऑर्डर की भी जांच करेगा।
राज्य में ई-शॉपिंग को बढ़ावा देने के लिए लोगों को इस नए प्रयोग से रूबरू करवाना आवश्यक है। इसके लिए कॉरपोरेशन ने प्रदेश और दूसरे राज्यों में स्थित इम्पोरियमों को निर्देश दिए हैं। यही नहीं निगम ई-शॉपिंग के माध्यम से निर्यात मार्किट में भी पहचान बना रहा है। सन् 1974 में स्थापित हुआ हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प व हथकरघा निगम राज्य में हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योग के विकास के साथ-साथ बुनकर व कारीगरों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रदेश के हस्तशिल्प एवं हथकरघा उत्पादों की विपणन प्रणाली को सुदृढ़ करने के वास्ते कॉरपोरेशन ने देश भर में 17 इम्पोरियम खोले हैं। राज्य में यह इम्पोरियम शिमला, सोलन, बिलासपुर, धर्मशाला, चम्बा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, केलंग, मनाली, मण्डी, नाहन, रिकांगपिओ, पालमपुर, व फर्नीचर यूनिट, पांवटा साहिब में कार्य कर रहे हैं।
वर्तमान में निगम द्वारा विभिन्न हस्तशिल्प कार्यों में दक्षता उन्नयन के लिए 27 प्रशिक्षण केन्द्र चलाए जा रहे हैं। साधारणतः गलीचा, शॉल एवं दरी, कम्बल बुनाई, थंका चित्रकला, काष्ठकला, कठपुतली निर्माण, धातू हस्तकला, में एक वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रतिवर्ष लगभग 400 से 500 बुनकरों तथा कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रत्येक प्रशिक्षु को 950 रुपये प्रतिमाह की वजीफा भी दिया जाता है।
एकैश (एसोसियेशन आफ कॉर्पोरेशन एण्ड एपैक्स सोसायटीज़ आफ हैंण्डलूम) भारत सरकार द्वारा अर्द्धसैन्य बलों, भारतीय रेल तथा वायु सेना के लिए हिमाचल प्रदेश की सहकारी समितियों के माध्यम से विभिन्न उत्पादों की थोक खरीद की जाती है। भारत सरकार तथा केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय द्वारा 2 करोड़ रुपये की कुल्लू हैंडलूम क्लस्टर नाम की तीन परियोजनाएं स्वीकृत की गई है, जिसे निगम द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, जिससे लगभग 5000 बुनकर लाभान्वित होंगे। 44.20 लाख रुपये की गोहर (मण्डी) हैंडलूम क्लस्टर योजना से 350 बुनकर तथा 55.15 लाख रुपये लागत की रिकांगपिओ हैंडलूम क्लस्टर योजना के माध्यम से 364 बुनकरों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
निगम की आय में वृद्धि हो, इसके लिए निगम के ‘शोरूमस’ में खाली स्थान को इच्छुक व्यक्तियों को आबंटित किया जा रहा है। इससे निगम की कुल आय 237 लाख रुपये से बढ़कर 405 लाख रुपये तक पहुंच गई है। निगम द्वारा कुल्लू हैंडलूम क्लस्टर योजना तथा गोहर (मण्डी) हैंडलूम क्लस्टर योजना के अंतर्गत प्रदेश के भीतर तथा बाहर 30 प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया है। इसे पूर्ण रूप से विकास आयुक्त हथकरघा केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया है। इन प्रदर्शनियों में विगत दो वर्षों में 127 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई तथा इन प्रदर्शनियों से कुल्लू तथा मण्डी जिलों के अनेक स्वयं सहायता समूह तथा स्थानीय बुनकर लाभान्वित हुए हैं।
हथकरघा विकास आयुक्त, भारत सरकार कपड़ा मंत्रालय ने वाराणसी, लखनऊ, चण्डीगढ़ तथा इलहाबाद के लिए चार प्रदर्शनियां स्वीकृत की हैं। हथकरघा विकास आयुक्त के कार्यालय द्वारा पहली बार प्रदेश के धर्मशाला, सोलन, शिमला, मण्डी तथा सुजानपुर में पांच जिला स्तरीय प्रदर्शनियां आयोजित करने को स्वीकृति प्रदान की गई है।