नाहन : हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में सभी वर्गों के अध्यापकों के पदों को भरने और पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की है। यह कदम सराहनीय है, लेकिन शारीरिक शिक्षकों के साथ अब भी सौतेला व्यवहार जारी है। पिछले पाँच वर्षों से न तो शारीरिक शिक्षकों की भर्ती हुई और न ही पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की गई।
संघ के अनुसार वर्तमान समय में प्रदेश के करीब 200 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं, जबकि 400 से अधिक स्कूलों में डीपीई के पद ही स्वीकृत नहीं हैं। यानी कुल मिलाकर 600 से अधिक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं जहाँ शारीरिक शिक्षक ही नहीं हैं।

संघ का कहना है कि इससे उन विद्यार्थियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है जो शारीरिक शिक्षा विषय पढ़ना चाहते हैं या वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति 2020 में भी प्रत्येक विद्यालय में शारीरिक शिक्षक होना अनिवार्य है, ताकि युवाओं को खेलों की ओर प्रोत्साहित कर नशे से दूर रखा जा सके।
शारीरिक शिक्षक संघ ने सरकार से मांग की है कि इन पदों को प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द भरा जाए, ताकि विद्यार्थियों को खेलों की तैयारी और प्रतियोगिताओं में भाग लेने का उचित अवसर मिल सके।
इसी मुद्दे को लेकर शारीरिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने आज विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार से नाहन में मुलाकात की। इस अवसर पर जिला मीडिया प्रभारी नरेश शर्मा, संजीव राणा, हरबंस और विनोद ठाकुर मौजूद रहे।
विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने संघ की मांगों को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को सरकार और संबंधित विभाग के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि, “नई शिक्षा नीति में खेल और शारीरिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है। सरकार इस दिशा में गंभीर है और शारीरिक शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए उचित कदम उठाएगी।”