शिक्षकों पर TET थोपना अनुचित, पुनर्विचार याचिका दायर करे सरकार: नरेश

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By Hills Post

शिमला: सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी सेवारत अध्यापकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अनिवार्य करने के हालिया आदेश पर हिमाचल प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने गहरी चिंता और कड़ा विरोध जताया है। महासंघ ने प्रदेश सरकार से इस फैसले के खिलाफ तुरंत सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने और अनुभवी शिक्षकों को इससे छूट दिलाने की मांग की है।

हजारों शिक्षकों में डर और असमंजस का माहौल

महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश के हजारों शिक्षकों में डर और असमंजस का माहौल है। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह आदेश हिमाचल में किस रूप में लागू होगा। अनुभव और सेवा की गुणवत्ता को दरकिनार कर अचानक टी.ई.टी. की अनिवार्यता थोपना अनुचित और अव्यावहारिक है।

यह आदेश अंजुमन इशरत-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य मामलों में दिया गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि शिक्षक के रूप में कार्यरत रहने के लिए TET एक न्यूनतम योग्यता है। आदेश के अनुसार, जिन अध्यापकों का सेवाकाल 5 वर्ष से अधिक शेष है, उन्हें TET पास करना होगा, और जिनका सेवाकाल 5 वर्ष से कम है, उन्हें पदोन्नति के लिए यह परीक्षा पास करनी होगी, अन्यथा उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा।

महासंघ ने मांग की है कि प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ तुरंत पुनर्विचार याचिका दायर करे। संघ का सुझाव है कि भारत सरकार के स्तर पर इस विषय को उठाकर एक नीति-स्तरीय समाधान खोजा जाए। संघ ने कहा है कि वर्षों से सेवा दे रहे अनुभवी शिक्षकों को इस आदेश से छूट दी जाए या उनके लिए विशेष व्यवस्था बनाई जाए। महासंघ ने मांग की है कि सरकार एक स्पष्ट अधिसूचना जारी कर बताए कि यह आदेश हिमाचल में कैसे और किन परिस्थितियों में लागू होगा।

महासंघ के राज्य उपाध्यक्ष जगदीश राणा और सुशील शर्मा ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने समय पर ठोस कदम नहीं उठाए तो अध्यापकों में गहरा असंतोष पैदा होगा, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो सकता है। महासंघ ने कहा कि वे सभी सांसदों के माध्यम से प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भी सौंपेंगे।

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