शिमला : शहर के संजौली में चल रहे निजी कोचिंग संस्थान आकाश पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जिला दंडाधिकारी अनुपम कश्यप ने दिए है। जिला दंडाधिकारी की ओर से जिला में आपदा प्रबंधन 2005 के तहत सभी शिक्षण संस्थान, कोचिंग संस्थान आदि बंद रहने के निर्देश 3 और 4 सितम्बर, 2025 को जारी किए गए थे। इन्ही आदेशों की अवहेलना पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए। उपायुक्त ने पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दे दिए है।
जिला प्रशासन को सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली थी कि आकाश कोचिंग सेंटर जिला प्रशासन के नियमों के खिलाफ बच्चों की कक्षाएं ले रहा है। इसके बाद उपायुक्त अनुपम कश्यम ने एडीएम पंकज शर्मा और तहसीलदार अपूर्व शर्मा को मौके पर निरीक्षण करने के लिए भेजा। शनिवार को टीम सुबह दस बजकर दस मिनट पर पहुंची तो आकाश कोचिंग सेंटर पर कक्षाएं चल रही थी। जब टीम ने निरीक्षण किया तो बच्चों के मोबाइल पर संस्थान की ओर से कक्षाएं लगाए जाने को लेकर संदेश भेजे गए थे। जब मौके पर मौजूद संस्थान ऑपरेशन हेड राजेश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जो संस्थान के परिसर और हाॅस्टल में रहते है । उनके लिए कक्षाएं लगाई है। लेकिन जब छात्रों से पूछा गया तो बहुत से छात्र ऐसे थे जो परिसर और हास्टल के अंदर रहते ही नहीं थे।

इसके बाद प्रशासन की टीम ने उक्त संस्थान के संचालन को लेकर विस्तृत अंतरिम रिपोर्ट उपायुक्त अनुपम कश्यप को सौंपी। इस रिपोर्ट में मौके पर की गई फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और अन्य सबूत भी संलग्न किए गए है। उपायुक्त ने तुरंत फैसला लेते हुए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए है। टीम ने संजौली में एक अन्य कोचिंग सेंटर का निरीक्षण भी किया जोकि बंद पाया गया।
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उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि हमें आकाश कोचिंग सेंटर में कक्षाएं चलाए जाने को लेकर सूचना प्राप्त हुई थी। इसके बाद एडीएम की अगुवाई में मौके पर टीम भेजी तो कक्षाएं चल रही थी। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के धारा 51,52 और 53 की अवहेलना पाई है। इसी के मुताबिक एफआईआर दर्ज करने के निर्देश पुलिस अधीक्षक को दिए गए है। जिला में कहीं पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत जारी निर्देशों की अवहेलना पाई जाती है तो जिला प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि नियमों की अवहेलना की सूचना तुरंत प्रशासन को दें।
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आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत धारा 51,52 और 53 तहत निम्न प्रावधान है। धारा 51 के तहत बाधा आदि के लिए दण्ड का प्रावधान है। इसमें ए भाग में केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी अधिकारी या कर्मचारी को, या राष्ट्रीय प्राधिकरण या राज्य प्राधिकरण या जिला प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में बाधा पहुंचाएगा। इसके भाग (बी) अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण द्वारा या उसकी ओर से दिए गए किसी निर्देश का पालन करने से इनकार करता है, तो दोषसिद्धि पर उसे कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडनीय होगा और यदि निर्देशों का पालन करने में ऐसी बाधा डालने या इनकार करने के परिणामस्वरूप जीवन की हानि होती है या जीवन का आसन्न खतरा उत्पन्न होता है, तो दोषसिद्धि पर उसे कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा।
धारा 52 के तहत मिथ्या दावे के लिए दण्ड – जो कोई जानबूझकर ऐसा दावा करेगा जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह मिथ्या है, केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण या जिला प्राधिकरण के किसी अधिकारी से आपदा के परिणामस्वरूप कोई राहत, सहायता, मरम्मत, पुनर्निर्माण या अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए, वह दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।
इसके साथ ही धारा 53 के तहत धन या सामग्री आदि के दुर्विनियोजन के लिए दंड – जो कोई, किसी आपदा की आशंका वाली स्थिति या आपदा में राहत प्रदान करने के लिए आशयित किसी धन या सामग्री को सौंपे जाने पर, या अन्यथा किसी धन या माल की अभिरक्षा या प्रभुत्व में रहते हुए, ऐसे धन या सामग्री या उसके किसी भाग का दुर्विनियोजन करेगा या अपने उपयोग के लिए विनियोजन करेगा या उसका अध्ययन करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने के लिए जानबूझकर विवश करेगा, वह दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।