नाहन : उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के विधानसभा क्षेत्र के शिलाई स्थित सरकारी अस्पताल में कथित चिकित्सकीय लापरवाही के चलते एक नवजात शिशु की मौत हो गई। शिशु के पिता गोपाल सिंगटा (कोटि बौंच) ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि कर्मचारियों की बेरुखी और इलाज में उपेक्षा के कारण उनके एक दिन के मासूम बेटे की जान चली गयी।
गोपाल सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी की यहां सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) हुई थी और नवजात बिल्कुल तंदुरुस्त था। वजन लगभग 3.3 किलोग्राम दर्ज किया गया था। पर अगले दिन अचानक बच्चे को तेज बुखार आया। गोपाल के अनुसार डॉक्टरों ने कुछ दवा लिखकर राहत की बात कही, लेकिन रात में हालत बिगड़ने पर कई बार बुलाने के बावजूद नर्सिंग स्टाफ समय पर प्रतिक्रिया नहीं दे पाया।

परिजन का कहना है कि मजबूरी में उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड से मदद मांगी, पर सुरक्षा कर्मी ने ही उन्हें थर्मामीटर लेकर बुखार नापने को कहा। जब पिता ने तापमान नापा तो वह रिकॉर्डेड रूप में अत्यंत उच्च 106 डिग्री फ़ारेनहाइट (या अन्य रिकॉर्डेड ऊँचा तापमान) निकला। तुरंत शिशु को रेफर किया गया, पर रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।
शिकायतकर्ता ने अस्पताल के स्टाफ की अनदेखी और आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमी पर कड़ी नाराज़गी जताई और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, “बच्चा बिल्कुल स्वस्थ था — रात की लापरवाही ने हमें सब कुछ छीन लिया। जो भी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
सीएमओ नाहन डॉ. राकेश प्रताप ने बताया कि शिलाई अस्पताल में हुई कथित लापरवाही के संबंध में यदि कोई लिखित शिकायत बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) या सीएमओ कार्यालय के पास आती है, तो संबंधित विषय की जांच तुरंत अमल में लाई जाएगी।
डॉ. प्रताप ने यह भी कहा कि यदि जांच में लापरवाही पाई जाती है, तो दोषी कर्मचारियों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने परिजनों से अपील की कि ऐसे मामलों में लिखित शिकायत देने से प्रशासनिक प्रक्रिया तेज होती है और दोषियों की जिम्मेदारी तय करना आसान होता है।