सोलन: योगानंद स्कूल ऑफ AI, कंप्यूटर्स एंड डेटा साइंसेज (वाई.एस.ए.आई.सी.डी.एस.) द्वारा आयोजित एप्लाइड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड इनोवेशन (एएआईआईसी) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज शूलिनी विश्वविद्यालय में शुरू हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन में दुनिया भर के शिक्षा जगत और उद्योग जगत के विशेषज्ञ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के भविष्य पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए।

इस अवसर पर वाई.एस.ए.आई.सी.डी.एस. के सहायक प्रोफेसर डॉ. पीयूष सेवल ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया । इंजीनियरिंग संकाय के डीन प्रो. वीरेंद्र रिहानी ने उद्योग और शिक्षा दोनों में AI के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने संबोधन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।
एएआईआईसी 2025 के कुलाधिपति और मुख्य संरक्षक, प्रो. पी.के. खोसला ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि AI की सभी क्षेत्रों में अत्यधिक मांग है और यह सम्मेलन विशेषज्ञों को एआई तकनीकों का उपयोग करके वास्तविक दुनिया की समस्याओं पर एक साथ काम करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।
शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. अतुल खोसला ने कहा कि यह सम्मेलन प्रौद्योगिकी, विज्ञान और सामाजिक आवश्यकताओं को मिलाकर एआई के प्रति एक अंतःविषय दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। उन्होंने आगे कहा कि एआई शूलिनी विश्वविद्यालय की कई गतिविधियों का केंद्रबिंदु है और संस्थान भारत और उसके बाहर एआई-आधारित समाधान विकसित करने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है।
शूलिनी विश्वविद्यालय में नवाचार और शिक्षण निदेशक और एएआईआईसी 2025 के संरक्षक, प्रो. आशीष खोसला ने कहा कि शूलिनी एक ऐसा वातावरण तैयार कर रहा है जहाँ शोधकर्ता, उद्योग जगत के पेशेवर और छात्र सार्थक एआई परियोजनाओं पर एक साथ काम कर सकें।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और सम्मेलन की थीम अध्यक्ष डॉ. मंजू खारी ने एएआईआईसी 2025 के मुख्य लक्ष्यों और सहयोगात्मक प्रकृति के बारे में बताया। उनके साथ चारोतार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के.के. पटेल भी शामिल हुए, जो थीम अध्यक्ष भी हैं। दोनों ने एआई अनुसंधान और विकास में टीम वर्क की आवश्यकता के बारे में बात की।
सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के कई मुख्य वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। इनमें डॉ. संजय मिश्रा (यूनिवर्सिडाड डी अल्काला, नॉर्वे), डॉ. शैलेंद्र राठौर (एबर्टे विश्वविद्यालय, यूके), डॉ. येरज़ान केरिंबेकोव (ज़ानिबेकोव विश्वविद्यालय, कज़ाकिस्तान), डॉ. लौरा बैतोकायेवा (नज़रबायेव बौद्धिक विद्यालय, कज़ाकिस्तान) और डॉ. टॉमस चेक (पालाकी विश्वविद्यालय, चेक गणराज्य) शामिल थे।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के उद्योग प्रमुख, अपूर्व अग्रवाल और रजित सिक्का ने भी व्यवसाय में एआई की भूमिका पर बात की। उनके सत्रों में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि वर्तमान में स्वचालन, विनिर्माण और उद्यम प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में एआई का उपयोग कैसे किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम का आयोजन प्रो. पंकज वैद्य और डॉ. गौरव गुप्ता ने किया है, जिन्होंने सम्मेलन की योजना और आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एएआईआईसी 2025 कल भी जारी रहेगा, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वर्तमान और भविष्य के विकास पर और अधिक सत्र और चर्चाएँ होंगी।