श्रद्घालुओं ने सुप्रसिद्घ शक्तिपीठ ज्वालामुखी में पूजा अर्चना कर दर्शन किये

ज्वालामुखी: दुर्गाष्टमी के मौके पर आज बड़ी तादाद में श्रद्घालुओं ने हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिले के सुप्रसिद्घ शक्तिपीठ ज्वालामुखी में पूजा अर्चना कर दर्शन किये। हजारों की तादाद में लोग मन्दिर में दर्शनों के लिये डटे हैं। मन्दिर मार्ग पूरी तरह श्रद्घालुओं से खचाखच भरा हुआ है। बड़े सवेरे से ही दर्शनों के लिए श्रद्घालुओं का तांता लगा हुआ था । बस अड्डे से मंदिर तक श्रद्घालुओं की लम्बी कतारें देखी गईं । नगर में रौनक बढऩे से दुकानदारों के चेहरे भी खिले थे ।

नगर में कई जगह लंगर भी लगाये गये हैं ।लंबी कतारों में श्रद्घालु अपनी बारी के इन्तजार में देखे गये। जिससे सरकारी इन्तजाम धराशायी हो गये। लंबी कतारों की वजह से दर्शन करने वालों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। पंजाब व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग यहां आ रहे हैं। नगर के तमाम गैस्ट हाऊस सरायें व होटल खचाखच भरे हैं। कहीं भी तिल ध्ररने की जगह नहीं है। प्रशासन ने आने वाले श्रद्घालुओं की सुविधा के लिये सुरक्षा प्रबन्धों को चाक चौबन्द किया गया है ।

मेला में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किये हैं । व होमगार्डस की भी सेवायें ली गयी हैं। मंदिर परिसर में क्लोज सर्किट कैमरे लगाये गये हैं । ताकि आसामाजिक तत्वों पर नजर रखी जा सके । पुलिस नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है । मंदिर में नारियल चढ़ाने की मनाही है । वहीं श्रद्घालुओं को आने व जाने के लिये अलग अलग मार्ग तय किये हैं । मन्दिर मार्ग का अलग ही नजारा है। नाचते गाते माता के जयकारे लगाते श्रद्घाले दर्शनों के लिये जा रहे हैं। नवरात्र मेला के चलते ज्वालामुखी मंदिर की आभा में चार चांद लग गए हैं । देश के विभिन्न भागों से आए मां के भक्त आजकल ज्वालाजी में अपने विश्वास श्रद्घा और भक्ति का प्रर्दशर्न कर रहे हैं । ज्वालामुखी उत्तरी भारत का प्रसिद्घ तीर्थ स्थल व बावन शक्तिपीठों में से एक ह ै।

इसके साथ कई पौराणिक तथा ऐतिहासिक श्रुतियां जुड़ी हैं । ज्वालामुखी धूम्रा देवी धूमावती का स्थान है । व इसे 52 शक्तिपीठों में सर्वोच्च शक्ति सम्पन्न स्थान माना गया है । इस पवित्र स्थल में देवी ज्योति रूप में विराजमान है । तंत्र विद्या में इसे पवित्र एंव प्रचण्ड स्थल माना गया है । शिवालिक पहाडिय़ों के आंचल में यह मंदिर स्थापित है । मंदिर के गर्भगृह में नौ ज्योतियां जल रही हैं । इनके नाम महाकाली , अन्नपूर्णा , चण्डी, हिंगलाज , विंध्यवासिनी , महालक्ष्मी , सरस्वती , अम्बिका तथा अन्जना हैं ।

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