नाहन: प्रदेश की सबसे बडी प्राकृतिक झील श्री रेणुका जी के सही रखरखाव न होने के कारण लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ यहां पर घूमने आने वाले पयर्टक खासी नाराज है। क्योंकि झील में लगातार बढ रही गाद व कमल के फूलों से झील का सौंदर्यकरण बिगडता जा रहा है, जिससे यहां आने वाले लोगों मे काफी नाराजगी है।
हिमाचल प्रदेश की सबसे बडी प्राकृतिक झील श्री रेणुका जी में बढती गाद से झील के सौदर्य पर ग्रहण लग रहा है। चूंकि झील देश के राष्ट्रीय वैट लेंड के तहत आती है लिहाजा इसकी अहमियत बढ जाती है। झील में बढते कमल के फूलों की संख्या इस बात को भी इंगित करती है कि झील के भीतर गाद के अलावा खरपतवार में तेजी से वृद्धि हो रही है। उल्लेखनीय है कि कमल का फूल देखने में बेहद आकर्षक लगता है लेकिन इसके साथ किचड में खिलने की सच्चाई भी छिपी होती है।
वन्य प्राणी क्षेत्र होने की वजह से शुरूआती चरण में मैनूअल तरीके से गाद निकलने का कार्य किया गया था लेकिन बाद में गाद की संख्या अधिक होने के कारण अन्य विकल्प भी ढूंढने पडे थे। हिमाचल की सबसे बडी झील होने का गौरव अपने दामन में समेटे होने के बावजूद भी झील को उचित ढंग से संरक्षण नहीं मिल पाया है। भगवान परशुराम की जन्मस्थली होने की वजह से इस झील की अहमियत धार्मिक लिहाज से भी अधिक है। लिहाजा जिला प्रषासन ने झील से गाद निकलने के लिए 67 लाख की रूपए की राशि स्वीकृत कर दी है व गाद निकालने के कार्य को मनरेगा के तहत लाए जाने का प्रयास भी प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।
श्रद्वालुओं का मानना है कि अगर यही हालात रहे तो पवित्र श्री रेणुका जी झील अपना अस्तित्व खो देगी। श्रद्वालुओं ने जिला प्रशासन व श्री रेणुका जी विकास बोर्ड से मांग की है कि जल्द ही झील के सौंदर्यकरण के लिए उचित व्यवस्था की जाए। उधर श्री रेणुका जी विकास बोर्ड के प्रबंधक एमएस चौहान ने बताया कि झील में गाद निकालने का कार्य जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। गाद निकालने के लिए जिला प्रषासन द्वारा 67 लाख रूपए की राषि स्वीकृत कर दी गई है। उन्होंने बताया कि गाद निकालने का कार्य मनरेगा के तहत भी करवाने की कोषिष की जा रही है।