धर्मशाला: प्रदेश में श्वेत क्रांति लाने के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा 300 करोड़ रूपये की महत्वकांक्षी ‘दूध गंगा परियोजना’ कार्यान्वित की जा रही है। इस परियोजना के अन्तर्गत कांगड़ा जिला में वर्ष 2009-10 के दौरान 263 पशुपालकों को डेयरी फार्म खोलने के लिये 4 करोड़ 84 लाख रूपये की राशि नाबार्ड द्वारा स्वीकृत की गई, जिसमें 2 करोड़ 42 लाख रूपये की राशि ब्याज मुक्त प्रदान की गई है। जबकि चालू वित्त वर्ष में जून माह के अंत तक 99 पशुपालकों को उन्नत नस्ल के दुधारू पशुओं की खरीद के लिये 54 लाख 51 हजार रूपये के ऋण में से 27 लाख 25 हजार रूपये के ब्याज मुक्त ऋण राशि उपलब्ध करवाई गई।
इस महत्वकांक्षी परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि डेयरी फार्मिंग खोलने से जहां बेरोज़गार युवाओं को एक सशक्त स्वरोज़गार उपलब्ध होगा, वहीं पर सम्बन्धित क्षेत्र में दूध की आवश्यकता स्थानीय स्तर पर पूरी होगी और लोगों को गुणात्मक एवं शुद्ध दुग्ध उत्पाद मिल पायेंगे और उन्हें अन्य राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
प्रदेश में दुग्ध उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये कार्यान्वित की जा रही इस योजना के अन्य पांच मद के अन्तर्गत किसानों को 2000 लीटर क्षमता के दुग्ध अभिशीतन सयंत्र खरीदने के लिये 15 लाख, स्थानीय स्तर पर दुग्ध उत्पाद यूनिट स्थापित करने के लिये 10 लाख तथा परिवहन एवं कोल्डचेन के लिये 20 लाख रूपये की राशि बतौर ऋण देने की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त दुग्ध उत्पादों के भण्डारण के लिये कोल्ड स्टोर निर्मित करने के लिये 25 लाख और निजी वेटनरी क्लीनिक के लिये, जिसमें स्थाई यूनिट के लिये 1.50 लाख और मोबाइल यूनिट के लिये दो लाख रूपये की राशि ऋण के रूप में प्रदान की जाती है।
प्रदेश सरकार द्वारा पशुओं को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान करने के दृष्टिगत आरम्भ की गई ‘मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना’ के तहत कांगड़ा जिला में आगामी तीन वर्षों के दौरान पशु चिकित्सा सुविधा से वंचित 239 पंचायतों में पशु औषधालय खोले जाएंगे ताकि किसानों के दुधारू पशुओं का उपचार गौशाला स्थल पर ही किया जा सके।
पशुपालन विभाग के अनुसार कांगड़ा जिला में गत दो वर्षों के दौरान पशुधन विकास के लिये चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत 20 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई है। जिला में इस समय 268 पशु स्वास्थ्य संस्थान कार्यरत हैं, जिसमें से 250 संस्थानों में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध है तथा गत वर्ष के दौरान जिला में 303712 पशुओं की विभिन्न बीमारियों का इलाज किया गया। इसके अतिरिक्त गत वर्ष में विभिन्न महामारियों की रोकथाम के लिये पशुओं में एचएसबीक्यू, मुंह खुर रोग तथा पीपीआर के 348702 पुशओं को निःशुल्क टीके लगाये गये।
किसानों को पशुचारा उपलब्ध करवाने के दृष्टिगत गत वर्ष 3610 चारा पौधे तथा 78500 चारा जड़ें वितरित करने के साथ-साथ 477 पशुपालकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। ‘दुधारू पशु बीमा योजना’ के अन्तर्गत दुधारू पशुओं को 50 प्रतिशत प्रीमियम राशि के भुगतान पर बीमित किया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत जिला में चालू वित्त वर्ष में अब तक 196 दुधारू पशुओं का बीमा करने पर 1.84 लाख रूपये की राशि बीमा प्रीमियम के रूप में सरकार द्वारा अदा की गई। इसी प्रकार ‘भेड़ पालक बीमा योजना’ के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले भेड़ पालक को 80 रूपये का वार्षिक प्रीमियम अदा करके 60 हजार से 1.50 लाख रूपये तक की बीमा राहत प्रदान की जाती है।
दूध गंगा योजना से निकट भविष्य में प्रदेश में श्वेत क्रांति का बडे़ पैमाने पर सूत्रपात होने की आशा की जाती है, जिससे प्रदेश में दुग्ध उत्पादों की आवश्यकता की आपूर्ति काफी हद तक राज्य स्तर पर ही पूरी की जा सकेगी और साथ ही बेरोज़गार युवाओं को भी स्वावलम्बन के बेहतर अवसर प्रदान होंगे।