शिमला: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने गुरुवार को शिमला के यारोज स्थित राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी (एनएएए) में भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा (आईएएंडएएस) के 2025 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। अपने संबोधन में राज्यपाल ने युवा अधिकारियों को संवैधानिक मूल्यों, सत्यनिष्ठा और पेशेवर उत्कृष्टता के प्रति समर्पित रहने का मंत्र दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये अधिकारी देशभर में लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा द्वारा स्थापित उच्च मानकों के सच्चे संरक्षक बनें और जमीनी स्तर पर वित्तीय जवाबदेही व रिपोर्टिंग व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर संवाद बनाए रखें।

राज्यपाल ने अकादमी की 1950 से चली आ रही गौरवशाली विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि एनएएए ने देश में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और सुशासन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) के संवैधानिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह संस्था लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को याद दिलाया कि एक ऑडिटर की भूमिका केवल वित्तीय आंकड़ों की जांच तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके द्वारा किया गया प्रत्येक ऑडिट प्रणालीगत सुधार का मार्ग प्रशस्त करता है और जनसेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाता है। उन्होंने 21वीं सदी में सतत सीखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ज्ञान और अनुकूलन क्षमता ही पेशेवर उत्कृष्टता की कुंजी है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की महत्ता इस बात से भी बढ़ जाती है कि इसमें भारत के साथ-साथ भूटान और मालदीव के अधिकारी भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। समारोह के दौरान राज्यपाल ने एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया। इससे पूर्व, राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी के महानिदेशक एस. आलोक ने राज्यपाल का स्वागत किया और प्रशिक्षु अधिकारियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। कार्यक्रम के अंत में निदेशक पुष्पलता ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) पुरुषोत्तम तिवारी, प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक़दारी) सुशील कुमार ठाकुर और राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।