नई दिल्ली: वित्त मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने आज संसद में वर्ष 2011-12 का आम बजट प्रस्तुत किया। श्री मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 2010-11 में देश का विकास तीव्र और व्यापक रहा है। अर्थव्यवस्था संकट से उभरकर विकास के पथ पर वापस आ गई है। कृषि क्षेत्र में फिर से वृद्धि दिखाई दी है, वहीं उद्योग जगत अपनी पूर्व तेजी पर लौट रहा है। श्री मुखर्जी ने कहा कि सेवा क्षेत्र में भी दो अंक की प्रगति हुर्इ है। राजकोषीय समेकन प्रभावी रहा है। इस वर्ष, उन निर्णायक संस्थागत सुधारों में भी उल्लेखनीय प्रगति दिखाई दी है, जिनसे निकट भविष्य में दो अंक की वृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त हो सकेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता, डीटीसी का प्रारंभ और प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर, जीएसटी से एक निर्णायक मोड़ आएगा। उन्होंने कहा कि इन सुधारों के फलस्वरूप, दरों में संतुलन, विधियों का सरलीकरण और बेहतर अनुपालन होगा।
श्री मुखर्जी ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक संसद में अगस्त, 2010 में प्रस्तुत किया गया था। स्थाई समिति की रिपोर्ट मिलने के पश्चात 2011-12 में इस संहिता को इसके अधिनियम के रूप में अंतिम स्वरूप प्रदान किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं, व्यवसायियों और प्रशासकों को इस विधान को पूरी तरह से समझने और संशोधित प्रक्रियाओं के अनुसार समायोजित करने में आसानी होगी।
वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निधियों का प्रवाह बढ़ाने के लिए पांच वर्षो से अधिक की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि वाली कंपनियों द्वारा जारी कॉरपोरेट बांडों में विदेशी संस्थागत निवेश,एफआईआई सीमा को 20 बिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त सीमा से बढ़ाकर 25 बिलियन अमरीकी डॉलर करने का प्रस्ताव किया। इससे एफआईआई के लिए कॉरपोरेट बांडों में निवेश हेतु उपलब्ध कुल सीमा बढ़कर 40 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगी।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि चूंकि अधिकांश अवसंरचना संबंधी कंपनियां एसपीवी के स्वरूप में नियोजित हैं, इसलिए एफआईआई को भी न्यूनतम तीन वर्षो की समयबंदी सहित असूचीबद्ध बांडों में निवेश की अनुमति होगी और इसके अलावा एफआईआई को समयबंदी के दौरान आपसी व्यापार करने की भी अनुमति होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि इन बैंकों को 350 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की गई थी। उन्होंने वर्ष 2011-12 के लिए ग्रामीण बैंकों के वित्तीय प्रबंधन को और मजबूत करने के लिए 500 करोड़ रूपए की व्यवस्था का प्रस्ताव किया, ताकि वे 31 मार्च, 2012 की स्थिति के अनुसार कम से कम 9 प्रतिशत पर सीआरएआर रखने में समर्थ हों।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले वर्ष कर स्लैबों को व्यापक बनाकर व्यष्टि करदाताओं को राहत प्रदान की गई थी । वैयक्तिक करदाताओं की सामान्य श्रेणी के लिए छूट सीमा इस वर्ष 1,60,000 रुपये से बढ़ाकर 1,80,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है । इस उपाय से इस श्रेणी के हर करदाता को 2,000 रुपये की एक समान कर राहत मिलेगी ।
मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे विशेष ध्यान दिए जाने के पात्र हैं । इसके तहत यह प्रस्ताव है कि अर्हक आयु 65 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष हो, छूट सीमा 2,40,000 रुपये से बढ़ाकर 2,50,000 रुपये हो तथा बहुत वरिष्ठ नागरिकों, 80 वर्ष एवं उससे अधिक की एक नई श्रेणी सृजित की जाए, जो 5,00,000 रुपये की उच्चतर छूट सीमा की हकदार होगी ।
वित्त मंत्री ने कहा कि कॉर्पोरेट्स की स्थिति में, अधिभारों को चरणों में समाप्त करने की मेरी पहल जारी है । घरेलू कंपनियों पर लागू 7.5 प्रतिशत के अधिभार को घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता हूं । साथ ही, मैं न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) की विद्यमान दर को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर बही लाभ का 18.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता हूं, ताकि मैट की प्रभावी दर इसी स्तर पर बनाये रखी जा सके । निगम कर देनदारियों की समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के उपाय के रूप में, विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकासकर्ताओं तथा इन क्षेत्रों में कार्यरत यूनिटों पर मैट लगाने का प्रस्ताव करता हूं ।
आधारभूत ढांचे के वित्त पोषण के लिए विदेशी निधियां जुटाने के लिए वित्त मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने यह प्रस्ताव भी रखा कि अधिसूचित अवसंरचना ऋण निधि के रूप में विशेष साधनों का सृजन किया जाए, इन निधियों के उधारों पर विषय संबंधी ब्याज पर 20 प्रतिशत की आस्थगन कर दर (विदहोल्डिंग टैक्स रेट) को घटाकर 5 प्रतिशत करना और निधि की आय को कर-मुक्त करना ।
बचतों को प्रोत्साहित करने और अवसंरचना के लिए निधियां जुटाने के लिए केन्द्र सरकार ने 2010-11 में दीर्घावधिक अवसंरचना बांडों में निवेश हेतु 20,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती की अधिसूचना जारी की थी । मैं इसे और एक वर्ष के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव करता हूं । वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उर्वरकों का उत्पादन कर रहे व्यवसायों को निवेश से संबंधित कटौती का लाभ देने का प्रस्ताव किया । आवास के महत्व को ध्यान में रखते हुए, अधिसूचित योजना के तहत वहनीय आवास बनाने में लगे व्यवसायों को भी निवेश आधारित कटौती का प्रस्ताव भी किया।
वित्त मंत्री ने कहा कि नवाचार के इस दशक में राष्ट्रीय प्रयेागशालाओं, विश्वविद्यालयों तथा प्रौद्योगिकी संस्थानों को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किए जाने वाले भुगतानों पर की जाने वाली भारित कटौती बढ़ाकर पिछले बजट में 175 प्रतिशत की थी । इसे बढ़ाकर 200 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता हूं । मंत्री महोदय ने कहा कि प्रत्यक्ष करों के संबंध में प्रस्तावों से इस वर्ष 11,500 करोड़ रुपये का निवल राजस्व घाटा होगा ।
श्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्ष 2010-11 में अप्रत्यक्ष करों में द्रुत वृद्धि को देखते हुए, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क कम करके उसी स्तरों पर लाने का विकल्प था, जो नवम्बर 2008 में विद्यमान थे । इसे दो कारणों से इसे नहीं चुना गया है । एक बेहतर कारोबार लाभों को उच्चतर निवेश दरों में परिवर्तित होते देखना । दूसरा वस्तु एवं सेवा कर अपनाने के प्रति अपने दृष्टिकोण को बनाए रखना चाहता हूं । अत: केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की मानक दर 10 प्रतिशत बनाए रखने का निर्णय लिया है ।
मंत्री महोदय ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने के लिए जमीन तैयार करने के लिए कई छूटों में कटौती से शुरूआत करके केन्द्रीय उत्पाद दर की संरचना में कतिपय परिवर्तन करने का प्रस्ताव किया गया है । इस समय, ऐसी लगभग 100 वस्तुएं हैं, जिन्हें केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के साथ-साथ राज्य के वैट से छूट प्राप्त है । इसके अलावा, 370 वस्तुएं ऐसी हैं, जिन्हें केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से छूट प्राप्त है किन्तु वैट लगता है । इन वस्तुओं में से 130 वस्तुओं पर मिली छूट को हटाने का प्रस्ताव किया गया है । ये वस्तुएं मुख्यत: उपभोक्ता वस्तु स्वरूप की हैं । शेष 240 वस्तुओं को, वस्तु एवं सेवा कर के अस्तित्व में आने के बाद, कर के दायरे में लाया जाएगा ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि बुनियादी खाद्य और ईंधन को छूट मिलती रहेगी । यह शुल्क बहुमूल्य धातुओं तथा रत्नों पर भी लागू नहीं होगा । आभूषण और स्वर्ण, चांदी एवं मूल्यवान धातुओं से बनी वस्तुओं के मामलें में, यह लेवी केवल ब्रांड नाम से बेचे जाने वाली वस्तुओं पर लागू होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने अपनी वैट की पात्रता दर 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दी है । इसी के अनुरूप, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की सबसे कम दर को 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया ।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारा वस्त्र और कपड़े की वस्तुएं निर्माण करने वाले उद्योग ने लम्बी यात्रा तय की है और हाल के वर्षों में अच्छी खासी वृद्धि दिखाई है । आधार विस्तार के भाग के रूप में, उन्होंने वैकल्पिक लेवी को 10 प्रतिशत की एक समान दर पर अनिवार्य लेवी को बदलने का प्रस्ताव किया है । हालांकि, यह लेवी केवल ब्रांडेड वस्त्रों अथवा वस्तुओं पर लागू होगी और खुदरा ग्राहक के लिए दर्जी से अथवा आर्डर देकर बनवाएं गए वस्त्रों अथवा वस्तुओं पर लागू नहीं होगी । वस्तुओं, पूंजीगत वस्तुओं तथा निविष्टि सेवाओं पर प्रदत्त कर का क्रेडिट इन उत्पादों के विनिर्माताओं के लिए उपलब्ध होगा ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि इस उद्योग के खंडित स्वरूप को ध्यान में रखते हुए, इन उत्पादों को पूरी एसएसआई छूट भी दी जा रही है । इन वस्तुओं का निर्यात, शून्य शुल्क दर पर जारी रहेगा ।
वित्त मंत्री ने कहा कि काला धन बनाना और उसका इस्तेमाल करना गंभीर चिंता का विषय है । इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने एक पांच सूत्री कार्ययोजना लागू की है । काले धन के विरुद्ध वैश्विक संघर्ष में साथ देना, उपयुक्त कानूनी ढांचा तैयार करना, अनुचित तरीकों से कमाए गए धन से निपटने के लिए संस्थाएं स्थापित करना, कायार्न्वयन के लिए प्रणालियां विकसित करना और लोगों को कौशल का प्रशिक्षण देना इसमें शामिल है । हमने पिछले वर्ष जून में वित्तीय कृतिक कार्यबल (एफएटीएफ) की सदस्यता ली थी जो धन-शोधन प्रतिषेध के लिए जी-20 की एक प्रमुख पहल है । वित्त मंत्रालय ने बेहिसाबी आय और देश के बाहर एवं देश में रखे गए धन के संबंध में एक अध्ययन शुरू किया है ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने समावेशी विकास पर ध्यान देते हुए सार्वजनिक नीति में प्रमुख दिशापरक परिवर्तन किया है । व्यक्ति के काम के अधिकार के लिए कानूनी हकदारी के कारण हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है । सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार हमारे लिए सशक्तीकरण के प्रभावशाली औजार हैं जो सामाजिक असंतुलन को दूर करते हैं ।
देश में भूख और कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श के बाद हम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को अंतिम रूप देने वाले हैं । वर्ष 2011-12 में सामाजिक क्षेत्र में 1,60,887 करोड़ रुपए के आवंटन का प्रस्ताव है जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है और कुल आयोजना आवंटन का 36.4 प्रतिशत है ।
वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार की फ्लैगशिप योजनाएं समावेशी विकास के एजेंडे को लागू कराने में मुख्य साधन रही हैं । भारत निर्माण में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, त्वरित सिंचाई सुविधा कार्यक्रम, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, इंदिरा आवास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और ग्रामीण टेलीफोनी शामिल हैं । वर्ष 2011-12 के लिए भारत निर्माण को कुल मिलाकर 58,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो मौजूदा वर्ष की तुलना में 10,000 करोड़ रुपए अधिक हैं । देश की सभी 2,50,000 पंचायतों को अगले तीन वर्ष में ग्रामीण ब्रॉडबैण्ड से जोड़ने के लिए एक योजना तैयार की गई है।
श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 100 रुपए की वास्तविक दैनिक मजदूरी दिलाने के बारे में पिछली बजट योजना के अनुसरण में सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा के तहत कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को अधिसूचित करने का निर्णय लिया है । इससे 14 जनवरी, 2011 को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित मजदूरी बढ़ गई है । इसके फलस्वरूप देश भर में लाभार्थियों की मजदूरी में वृद्धि हुई है ।
वित्त मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायक एकीकृत बाल विकास सेवा योजना का आधार हैं । उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा आंगनबाड़ी सहायकों का मेहनताना बढ़ाकर क्रमश: 1,500 रुपए से 3,000 रुपए तथा 750 रुपए से 1,500 रुपए प्रतिमाह करने की घोषणा की जो पहली अप्रैल, 2011 से लागू होगा । देश भर में करीब 22 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायक इस वृद्धि से लाभान्वित होंगे ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि बजट 2011-12 में पहली बार अनुसूचित जाति उपयोजना तथा अनुसूचित जनजातीय उपयोजना के लिए विशेष आबंटन निर्धारित किए जा रहे हैं । इन्हें संबंधित मंत्रालयों तथा विभागों के बजट में अलग लघु लेखा शीर्षों के अंतर्गत दर्शाया जाएगा । इसके अलावा श्री मुखर्जी ने जनजातीय वर्गों के लिए वर्ष 2010-11 में किए गए 185 करोड़ रुपए के बजट आबंटन को बढ़ाकर वर्ष 2011-12 में 244 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया । वित्त मंत्री ने कहा कि विकसित देशों की तुलना में अपेक्षाकृत युवा आबादी का हमारा ‘ जनसांख्यिकी लाभांश ’ चुनौती से कहीं बढ़कर एक अवसर है । वर्ष 2025 में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय काम-काजी आयु के होंगे । इस संदर्भ में माध्यमिक शिक्षा सबके लिए सुलभ बनाना, उच्चतर शिक्षा क्षेत्र में हमारे विद्वानों की प्रतिशतता बढ़ाना और कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था करना आवश्यक है । उन्होंने शिक्षा पर जोर देने के उद्देश्य से 52,057 करोड़ रुपए के आबंटन का प्रस्ताव किया जो मौजूदा वर्ष की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है ।
वित्त मंत्री ने कहा कि बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार को लागू करने के लिए सर्वशिक्षा अभियान के मौजूदा संचालन संबंधी मानकों में संशोधन किया गया है जो पहली अप्रैल, 2010 से लागू है । श्री मुखर्जी ने वर्ष 2011-12 के लिए 21,000 करोड़ रुपए के आबंटन का प्रस्ताव किया जो वर्ष 2010-11 के बजट में किए गए 15,000 करोड़ रुपए के आबंटन की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है । श्री मुखर्जी ने कहा कि ‘माध्यमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण’ नामक एक संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना हमारे युवाओं के लिए रोजगार की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से वर्ष 2011-12 से कार्यान्वित की जाएगी ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि मार्च 2010 में अनुमोदित राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क, ऑप्टिकल फाइबर आधार रेखा के जरिए 1,500 उच्चतर शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को जोड़ेगा । मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 190 संस्थानों को राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है । चूंकि आधार मार्च 2011 तक तैयार होगा, अत: सभी 1,500 संस्थानों को मार्च, 2012 तक कनेक्टिविटी मुहैया कराई जा सकेगी ।
वित्त मंत्री ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास के औपचारिक प्रतिमान से बाहर निकलने के लिए भारत में नवाचारों के सूत्रपात के लिए एक रूपरेखा तैयार करने की दृष्टि से श्री सैम पित्रोदा के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय नवाचार परिषद का गठन किया गया है । इसी की तर्ज पर प्रत्येक राज्य में राज्य नवाचार परिषदें तथा केंद्रीय मंत्रालयों से संबद्ध क्षेत्रीय नवाचार परिषदों के गठन की प्रक्रिया जारी है ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि दलहन पर सरकार की पहल की किसानों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है । द्वितीय अग्रिम अनुमानों के अनुसार, इस वर्ष दालों का उत्पादन 165 लाख टन होने की संभावना है, जबकि पिछले वर्ष यह 147 लाख टन हुआ था । इन लाभों में और बढ़ोत्तरी करते हुए, हमें अगले तीन वर्षों में, दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए । फसल उत्पादकता बढ़ाने एवं बाजारों संपर्कों को मजबूत करने के लिए वर्षासिंचित क्षेत्रों में 60,000 दलहन ग्रामों को प्रोत्साहित करने के लिए 300 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराया गया है ।
वित्त मंत्री ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे लाभार्थियों के लिए मौजूदा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन स्कीम के तहत व्यक्ति अर्हता 65 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष करने का प्रस्ताव है। जो 80 वर्ष या इसके अधिक आयु के हैं, उनके लिए पेंशन 200 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए किए जाने का प्रस्ताव है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने दस वर्षीय भारत ग्रीन मिशन की एक महत्वाकांक्षी स्कीम शुरू की है। वर्ष 2011-12 में इसका कार्यान्वयन शुरू करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि में से 200 करोड़ रुपया आबंटित करने का प्रस्ताव किया गया है। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि पर्यावरणीय सुधार उपाय कार्यक्रमों की शुरूआत करने के लिए भी 2011-12 में केन्द्र के अंशदान के तौर पर राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि से 200 करोड़ रुपए आबंटित करने का प्रस्ताव है।
वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गंगा नदी थाला प्राधिकरण के तहत, 2010-11 में कई परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। इस रफ्तार को और बढ़ाया जाएगा। सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक महत्व की कई नदियां और झीलें हैं, जिनकी सफाई किए जाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने वर्ष 2011-12 में, मैं गंगा नदी को छोड़कर, कुछ महत्वपूर्ण झीलों तथा नदियों की सफाई के लिए 200 करोड़ रुपए का विशेष आवंटन करने का प्रस्ताव किया है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि भारतीय रुपए का अब एक नया प्रतीक चिह्न है, जिसे केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों, कारोबारी कम्पनियों और आम जनता द्वारा प्रयोग किए जाने के लिए अधिसूचित कर दिया गया है। इस प्रतीक चिह्न के अंकन वाले सिक्कों की नई श्रृंखला शीघ्र ही जारी की जाएगी। सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों में इस प्रतीक चिह्न को शामिल करने के लिए यूनिकोड स्टैण्डर्ड प्राधिकरण से संपर्क किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सकल कर राजस्व प्राप्तियों के 9,32,440 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। यह 2010-11 के बजट अनुमानों से 24.9 प्रतिशत अधिक है। राज्यों को अंतरित किए जाने के बाद, 2010-11 में केन्द्र का निवल कर 6,64,457 करोड़ रुपए है। वर्ष 2011-12 के लिए कर-भिन्न राजस्व प्राप्तियां 1,25,435 करोड़ रुपए अनुमानित हैं।
मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि वर्ष 2011-12 के लिए प्रस्तावित कुल व्यय 12,57,729 करोड़ रुपए है। यह वर्ष 2010-11 के बजट अनुमानों से 13.4 प्रतिशत अधिक है। व.अ. 2010-11 की तुलना में आयोजना व्यय 18.3 प्रतिशत की वृद्ध दिखाते हुए 4,41,547 करोड़ रुपए तथा आयोजना-भिन्न व्यय 10.9 प्रतिशत की वृद्धि दिखाते हुए 8,16,182 करोड़ रुपए है। चूंकि वर्ष 2011-12 ग्यारहवीं योजना अवधि का आखिरी वर्ष है, मुझे यह बताते हुए खुशी है कि ग्यारहवीं योजना व्यय सामान्यत: इस योजना अवधि के लिए प्रत्याशित व्यय के 100 प्रतिशत से भी अधिक है।
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि वर्ष 2011-12 तथा संघ राज्य क्षेत्रों को दिए जाने वाले 2,01,733 करोड़ रुपए के कुल आयोजना तथा आयोजना-भिन्न अंतरणों में बजट अनुमान 2010-11 की तुलना में 23 प्रतिशत वृद्धि की गई है। इसमें तेरहवें वित्त आयेाग द्वारा दी गई संस्तुति के अनुसार स्थानीय निकायों को वर्ष 2011-12 में दिए जाने वाले 13,713 करोड़ रुपए के अनुदान भी शामिल है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यूआईडी मिशन की शुरूआत हो चुकी है तथा बड़ी संख्या में आधार नम्बर सृजित किए जा रहे हैं। अब तक, 20 लाख आधार नंबर दिए गए हैं और पहली अक्तूबर, 2011 से प्रतिदिन 10 लाख नंबर सृजित किए जाएंगे। विभिन्न योजनाओं के अभिशासन में सेवा सुपुर्दगी, जवाबदेही एवं पारदर्शिता के लिए आधार की क्षमता प्राप्त करने के लिए अब रास्ता तैयार है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि एक कारगर कर प्रशासन के लिए एक मजबूत आईटी अवसंरचना और करदाता को बेहतर सेवाओं के लिए उसका विस्तार किया जाना है। इस उद्देश्य के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीईसी), दोनों ने निम्नलिखित उपाय किए हैं-
• आयकर विवरणी ऑन-लाइन पर तैयार और प्रस्तुत करना, 32 एजेंसी बैंकों के माध्यम से करों का ई-भुगतान, करदाताओं के बैंक खातों में सीधे (धन) वापसी के इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन और टीडीएस विवरणियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए ईसीएस सुविधा अब देशभर में उपलब्ध है। इन उपायों से करदाता आयकर कार्यालय में जाए बिना, अपनी कर संबंधी जिम्मेदारियां पूरा करने में समर्थ हुए हैं।
• बेंगलुरु स्थित केन्द्रीयकृत प्रोसेसिग सेंटर (सीपीसी) ने 2010-11 में अपनी दैनिक प्रोसेसिग क्षमता 20,000 विवरणियों से बढ़ाकर 1.5 लाख विवरणियां कर दी हें। इस परियोजना ने 2011 में ई-गवर्नेंस के लिए स्वर्ण पुरस्कार जीता है। मई 2011 तक और दो सीपीसी मानेसर और पुणे में कार्य करना शुरू कर देंगे तथा चौथा सीपीसी 2011-12 में कोलकाता में स्थापित किया जाएगा।
• सीबीईसी, अपनी आईटी समेकन परियोजना पूरी हो जाने से, अब अपने मुख्य अनुप्रयोग केन्द्रीय रूप से सीमा शुल्क, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा सेवा कर में व्यवस्थित कर सकता है। सीमा-शुल्क की ईडीआई प्रणाली अब देशभर में 92 स्थानों में काम कर रही हे। सीबीईसी के ई-कॉमर्स पोर्टल आईसगेट को भी ई-गवर्नेंस के लिए स्वर्ण पुरस्कार प्रदान किया गया है।
• दोनों बोर्डोंद्वारा सेवोत्तम की संकल्पना अपनाई गई है। सीबीडीटी के तहत आयकर सेवा केन्द्रों की तीन प्रायोगिक परियोजनाओं ने लम्बा रास्ता तय किया है। सीबीडीटी इस वर्ष और आठ ऐसे केन्द्र चालू करेगा। 2011-12 में देशभर में 50 आयकर सेवा केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। सीबीईसी ने भी इसी प्रकार के उपाय किए हैं और उनकी प्रायोगिक परियोजनाओ में से चार शुरू की गई हैं।
• स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) विवरणों का इलेक्ट्रॉनिक प्रस्तुतिकरण मजबूती प्राप्त कर चुका है। बोर्ड शीघ्र ही उन वेतनभोगी करदाओं की श्रेणी अधिसूचित करेगा, जिन्हें आय का विवरण प्रस्तुत करना जरूरी नहीं होगा, क्योंकि उनकी कर संबंधी देयता का निर्वहन उनके नियोक्ता द्वारा स्रोत पर कटौती के माध्यम से किया जा चुका है। • सीबीडीटी करदाताओं को आयकर विभाग के साथ सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए एक पृथक वेब आधारित सुविधा मुहैया कराएगा, ताकि करदाता अपनी वापसी राशि और पूर्व प्रदत्त करों के बकाया के संबंध में शिकायत दर्ज कर सकें तथा उनके निराकरण की स्थिति का पर कर सकें।
वित्त मंत्री ने कहा कि विकास की गति में सुधार लाने में अवसंरचना का स्थान महत्वपूर्ण है। वर्ष 2011-12 के लिए, अवसंरचना क्षेत्र के लिए 2,14,000 करोड़ रुपए से अधिक के आवंटन का प्रस्ताव है, जो चालू वर्ष के आवंटन की अपेक्षा 23.3 प्रतिशत अधिक है। यह सकल बजटीय सहायता व्यय का 48.5 प्रतिशत है।
मंत्री महोदय ने यह भी कहा बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को दीर्घावधि वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने भारत ढांचागत वित्त कम्पनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) की स्थापना की है। बजट 2009-10 में घोषित वित्तपोषण प्राप्त करने की योजना कार्यान्वित कर दी गई है और सात परियोजनाओं को 1500 करोड़ रुपए के ऋण से मंजूरी दी गई है। 2011-12 के दौरान 5,000 करोड़ रुपए की एक अन्य परियोजना को मंजूरी दे दी जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि बजट 2010-11 में स्वावलंबन नामक एक सह-अंशदायी पेंशन योजना की घोषणा की थी। असंगठित क्षेत्र के कामगारों द्वारा इस योजना का स्वागत किया गया है। अब तक 4 लाख से ज्यादा आवेदन मिल चुके हैं। प्राप्त फीडबैक के आधार पर, निकास मानकों में छूट दी जा रही है, जिसके द्वारा स्वावलंबन के अन्तर्गत किसी भी अंशदाता में 60 वर्ष के बजाय 50 वर्ष या 20 वर्ष को न्यूनतम अवधि, इनमें से जो भी परवर्ती हो, के बाद निकासी की अनुमति होगी। वर्ष 201-11 तथा 2011-12 के दौरान स्वावलंबन योजना में नामांकित हो चुके सभी अंशधारकों को तीन से पांच वर्षों तक सरकारी अंशदान का फायदा देने का प्रस्ताव है। जैसा कि अनुमान है, मार्च 2012 तक 20 लाख लाभार्थी इस योजना में शामिल होंगे।
श्री मुखर्जी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा विशेष श्रेणी के राज्यों में विकास को बढ़ाने के लिए 2011-12 के लिए विशेष सहायता का आवंटन लगभग दुगुना करके 8000 करोड़ रुपए किया गया हे। इसमें से 5,400 करोड़ रुपए मुक्त विशेष केन्द्रीय सहायता के रूप में आवंटित किए गए हैं। मंत्री महोदय ने यह भी घोषणा की कि पिछड़े क्षेत्रों में विकास को गति देने के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत किए गए 7,300 करोड़ रुपए के आवंटन को 35 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ाकर 9,890 करोड़ रुपए कर दिया गया