सोलन: शूलिनी विश्वविद्यालय के मीडिया छात्रों को पत्रकारिता की चुनौतियों और भविष्य के बारे में जानने का मौका मिला। यह अवसर था एक विशेष सत्र का, जिसे पत्रकारों की सुरक्षा समिति (CPJ) के भारत प्रतिनिधि कुणाल मजूमदार ने संबोधित किया। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता, नैतिकता और पत्रकारिता में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव पर खुलकर बात की।
कुणाल मजूमदार ने आज के मीडिया जगत की एक वास्तविक तस्वीर पेश करते हुए कहा कि पत्रकारों को राजनीतिक और डिजिटल दबावों के बीच काम करना पड़ता है। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि उन्हें साहस, ईमानदारी और जिम्मेदारी दिखानी चाहिए। मजूमदार ने कहा कि आज पत्रकारिता में सिर्फ अच्छी कहानी कहने का हुनर ही काफी नहीं है, बल्कि लचीलापन और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता भी उतनी ही जरूरी है।

उन्होंने आधुनिक पत्रकारों के सामने आने वाले नए खतरों, जैसे गलत सूचना (misinformation), ऑनलाइन उत्पीड़न और संगठित ट्रोलिंग का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि CPJ दुनिया भर में मुसीबत में फंसे पत्रकारों को कानूनी और आपातकालीन सहायता प्रदान करता है।
चर्चा का एक मुख्य विषय पत्रकारिता में AI की भूमिका भी रहा। मजूमदार ने माना कि AI अब न्यूज रूम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जो फैक्ट-चेकिंग और डेटा विश्लेषण में मदद करता है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि तकनीक का इस्तेमाल हमेशा मानवीय निर्णय और नैतिकता के मार्गदर्शन में ही होना चाहिए।
उन्होंने छात्रों से जिज्ञासु और मूल्य-संचालित बने रहने का आग्रह करते हुए कहा कि निडर रिपोर्टिंग ही लोकतंत्र को मजबूत कर सकती है।