सोलन: मॉडल संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का तीन दिवसीय 7वां संस्करण, जिसे SNAMUN’24 के नाम से जाना जाता है, द लॉरेंस स्कूल- सनावर में धूमधाम से संपन्न हुआ। इस छात्र सम्मेलन का विषय था “हम कहाँ जा रहे हैं?” जिसमें युद्ध और संघर्ष, हिंसा, तानाशाही, वित्तीय मंदी, मानव तस्करी और गंभीर खाद्य संकट सहित ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए देश भर में स्थित नौ स्कूलों के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। भाग लेने वाले स्कूल थे: आर्मी पब्लिक स्कूल- डगशाई, डेली कॉलेज- इंदौर, हैदराबाद पब्लिक स्कूल-बेगमपेट, मेयो कॉलेज-अजमेर, मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल-अजमेर, पाइनग्रोव स्कूल-सोलन, सेंट कबीर पब्लिक स्कूल-चंडीगढ़, सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल-सिरसा और मेजबान स्कूल द लॉरेंस स्कूल, सनावर।
SNAMUN’24 सम्मलेन की शुरुआत महासचिव गायत्री सूद की आधिकारिक घोषणा के साथ हुई। उद्घाटन समारोह सांस्कृतिक नृत्य और सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुति के साथ शुरू हुआ। इसके बाद सम्मेलन के थीम पर आधारित एक अत्यंत प्रभावशाली और मार्मिक वीडियो दिखाई गई। सम्मेलन में आए प्रतिभागियों को पाँच समितियों में विभाजित किया गया। एक ओर जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर संयुक्त राष्ट्र सलाहकार निकाय ने संभावित जोखिमों और खतरों से निपटने के लिए सुझाव दिया, वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की SOCHUM कमिटी में शिरकत कर रहे छात्र प्रतिभागियों ने यमन में मानवीय संकट , विशेष रूप से खाद्य संकट, पर गहन विचार-विमर्श किया।
अपराध रोकथाम और आपराधिक न्याय आयोग (सीसीपीसीजे) युवा प्रतिनिधियों ने मध्य भूमध्य सागर के मार्गों पर मानव तस्करी और तस्करी की गतिशीलता का विश्लेषण किया और इसका मुकाबला करने के लिए प्रभावी नीतिगत उपाय सुझाए। यूरोपीय संघ की समिति ने यूरोप में वित्तीय मंदी के पीछे के कारणों पर मंथन किया और यूरो-ज़ोन ऋण संकट का मुकाबला करने के उपाय सुझाए। पांचवीं और शायद सबसे दिलचस्प समिति यूनाइटेड किंगडम की संसद समिति थी जिसे ब्रिटिश कैबिनेट और भारत कैबिनेट में विभाजित किया गया था। इन दोनों समितियों के छात्र 1947 के स्वतंत्रता-पूर्व ब्रिटिश भारत के लिए भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए उन दिनों के नेताओं के रूप में भारत को अविभाजित रखने हेतु दलीलें पेश कीं।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल थे। समापन समारोह में दिखाए गए वीडियो और सम्मेलन सचिवालय के सदस्यों के साथ अपनी बातचीत का उल्लेख करते हुए, बुटेल ने कहा, “निस्संदेह जिस दुनिया में हम आज रह रहे हैं उसे और ज्यादा हिंसा मुक्त, न्यायसंगत और शांतिपूर्ण बनने की जरूरत है। इस संदर्भ में इस प्रकार का सम्मेलन अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जहां युवा गहन शोध करने के बाद प्रमुख मुद्दों और नीतिगत मामलों पर विचार-विमर्श करने आए हैं।
मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का भविष्य अच्छे हाथों में है।” विजेताओं को बधाई देते हुए और सम्मेलन के प्रत्येक प्रतिभागी की सराहना करते हुए उन्होंने आगे कहा, “जब आप विजयी हों तो विनम्र रहें और विषम परिस्थितियों में धैर्यवान बने रहें, क्योंकि ये गुण आपको कल अच्छे नेता बनने में मदद करेंगे। सृष्टि प्रिया, अयान गौतम, सिया शुक्ला (तीनों द लॉरेंस स्कूल, सनावर से), मेयो बॉयज़ के वीर विक्रम कोचर, सेंट जेवियर्स-सिरसा की राजश्री तायल और सेंट कबीर-चंडीगढ़ के आर्यमान गुप्ता को उनकी समितियों का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि घोषित किया गया ।
सम्मेलन के महासचिव द्वारा चयनित सम्मेलन का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि का पुरस्कार सेंट जेवियर्स-सिरसा के सिद्धम गोयल को दिया गया जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति – सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक समिति (SOCHUM) में जापान का प्रतिनिधित्व किया। जब सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधिमंडल का पुरस्कार द लॉरेंस स्कूल, सनावर को मिला तो दर्शक खुशी से झूम उठे। परन्तु स्कूल की पुरानी परंपरा का पालन करते हुए, मेजबान स्कूल ने उप-विजेता स्कूल, मेयो कॉलेज अजमेर को ट्रॉफी प्रदान की। धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए प्रधानाध्यापक हिम्मत सिंह ढिल्लों ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा, “इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान इन बच्चों के विचारों तथा इनकी सूझ-बूझ हमें आशा दी है कि भले ही वर्तमान में दुनिया सबसे वांछनीय दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है पर निश्चित रूप से इन भावी नेताओं की देखरेख में दुनिया स्थायी शांति, समता और न्याय वाली बेहतर दिशा में जा रही होगी।