नाहन : सनौरा–नेरीपुल–छैला मार्ग की खस्ताहाल स्थिति और इस पर वर्षों से भारी ट्रॉला वाहनों की आवाजाही के खिलाफ सोमवार को कांगू जुबड़ी में विशाल रैली निकाली गई। रैली में पझौता और रामूमांदर क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने भाग लेकर सरकार और प्रशासन के प्रति नाराज़गी जताई।
जिला परिषद सदस्य देवठी मंझगांव वार्ड, विनय भगनाल ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने इस सड़क को मात्र 9 टन भार क्षमता के लिए बनाया था, जबकि सेब सीजन में यहां 25 से 30 टन क्षमता वाले ट्रॉला वाहन लगातार चलते हैं। इससे सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है।

उन्होंने कहा कि सेब सीजन में प्रतिदिन हजारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं, और कई स्थानों पर सड़क इतनी तंग है कि जाम लगना आम बात हो गई है। पिछले एक सप्ताह में इस मार्ग पर पांच से अधिक हादसे हो चुके हैं। प्रशासन पहले ही सनौरा से नेरीपुल तक के हिस्से को “एक्सीडेंटल जोन” घोषित कर चुका है।
विनय भगनाल ने बताया कि वर्ष 2020 में इस सड़क के सुधार व पक्कीकरण के लिए 45 करोड़ का टेंडर पीकेसी कंपनी को दिया गया था, जो जुलाई 2025 में समाप्त हो गया है। कंपनी ने 9 टन भार क्षमता के हिसाब से ही पक्कीकरण किया, लेकिन भारी ट्रॉला वाहनों के चलते कई हिस्सों पर सड़क उखड़ गई है। उन्होंने विभाग पर गंभीर चूक का आरोप लगाते हुए कहा कि सड़क की डीपीआर बनाते समय वास्तविक स्थिति का ध्यान नहीं रखा गया।
उन्होंने कहा कि करीब दो दशकों से अपर शिमला का सेब इसी मार्ग से देश की विभिन्न मंडियों में पहुंच रहा है, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस सड़क को स्टेट हाईवे का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास नहीं किए। फिलहाल इसे “मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड” का दर्जा प्राप्त है, जिससे चौड़ीकरण और पक्कीकरण के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाती।
स्थानीय प्रतिनिधियों और पंचायत प्रधानों ने सरकार से मांग की है कि जब तक इस सड़क को डबल लेन बनाकर स्टेट हाईवे का दर्जा नहीं दिया जाता, तब तक ट्रॉला वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए। साथ ही, लोक निर्माण विभाग के उपमंडल कार्यालय हाब्बन में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति की जाए, ताकि सड़क का रखरखाव बेहतर ढंग से हो सके।